24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

13 लाख आबादी पर भारी पड़ रहे 38 हजार कुत्ते

रांची : राजधानी रांची की 13 लाख आबादी पर 38 हजार आवारा कुत्ते भारी पड़ रहे हैं. ये कुत्ते शहर की प्रमुख सड़कों से लेकर गली-मोहल्ले में साम्राज्य बना कर रह रहे हैं. रात होते ही सड़कों पर इनका राज हो जाता है. झुंड में रहनेवाले ये कुत्ते रात में सड़कों पर आवागमन करने वाले […]

रांची : राजधानी रांची की 13 लाख आबादी पर 38 हजार आवारा कुत्ते भारी पड़ रहे हैं. ये कुत्ते शहर की प्रमुख सड़कों से लेकर गली-मोहल्ले में साम्राज्य बना कर रह रहे हैं. रात होते ही सड़कों पर इनका राज हो जाता है. झुंड में रहनेवाले ये कुत्ते रात में सड़कों पर आवागमन करने वाले किसी भी वाहन पर अचानक टूट पड़ते हैं. कुत्तों से बचने के प्रयास में कई वाहन सवार अपना हाथ-पैर भी तुड़वा चुके हैं. दूसरी ओर आवारों कुत्तों पर काबू पाने को लेकर न तो नगर निगम गंभीर है, न ही जिला प्रशासन.
प्रतिदिन 25 लोग हो रहे शिकार : राजधानी में प्रतिदिन कुत्तों केे काटे जाने के 25 से अधिक केस सदर अस्पताल व निजी अस्पतालों में आ रहे हैं. यहां आनेवाले लोगों को एंटी रेबीज इंजेक्शन देकर वापस भेजा जा रहा है. सबसे अधिक शिकार बच्चे व महिलाएं हो रहे हैं. लोगों का कहना है कि आवारा कुत्ते सड़कों पर घूमने वाले छोटे-छोटे बच्चों व महिलाओं पर घेर कर हमला कर रहे हैं.
मॉर्निंग वॉक करनेवाले लोग भी नहीं हैं सुरक्षित: शहर में मॉर्निंग वॉक करने वाले लोग भी आवारा कुत्तों के शिकार हो रहे हैं. बुजुर्गों व अकेली औरतों काे दौड़ा-दौड़ा कर काट रहे हैं. गली-मोहल्ले के अलावा मैदान में भी कुत्ते झुंड बना कर घूमते नजर आते हैं. पिछले एक साल में मॉर्निंग वॉक करनेवाले आधा दर्जन से अधिक लोग इसके शिकार हो चुके हैं.
पांच साल में 22 हजार कुत्तों की आबादी घटी : नगर निगम द्वारा संचालित संस्था होप एंड एनिमल के पदाधिकारियों का कहना है कि पिछले पांच साल में कुत्तों की आबादी काफी कम हुई है. 2010-11 में जहां आवारा कुत्तों की संख्या 60 हजार के आसपास थी. वर्ष 2016 में यह संख्या 38 हजार के आसपास पहुंच गयी है.
हर दिन 15 कुत्ते मर रहे हैं सड़क दुर्घटना में : रांची नगर निगम से प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रतिदिन 10-15 कुत्ते सड़क दुर्घटना में मर रहे हैं. इस प्रकार से महीने में मरने वाले इन कुत्तों की औसत संख्या 350 के आसपास है और साल में यह आंकड़ा चार हजार के आसपास हो जाता है. हालांकि आम दिनों की तुलना में बरसात के दिनों में कुत्तों के मरने की संख्या अधिक होती है.
नहीं मार सकते कुत्तों को : कुत्तों को जान से मारने पर सुप्रीम कोर्ट की रोक है. कोर्ट के आदेश के आलोक में ही कुत्तों की संख्या पर नियंत्रण करने को लेकर निगम ने कुत्तों की नसबंदी कराने के लिए होप एंड एनिमल संस्था से करार किया हुआ है. संस्था की मानें, तो वर्तमान में जो 38 हजार कुत्ते शहर की सड़कों पर घूम रहे हैं. उसमें से 70 फीसदी की नसबंदी की जा चुकी है.
कुत्तों की आबादी पिछले पांच सालों में घटी है. बेहतर तरीके से नसबंदी किये जाने से ही आज कुत्ते के बच्चे (पिल्ले) गली-मोहल्ले में काफी कम दिखायी देते हैं. आनेवाले दिनों में कुत्तों की आबादी और घटेगी. क्योंकि अब बहुत कम नये कुत्ते जन्म लेंगे और जो बचे हुए हैं वे भी बूढ़े होकर मर जायेंगे.
डाॅ प्रवीण ओहल, होप एंड एनिमल

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें