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देश के लिए अनमोल रत्न थे डॉ रामदयाल मुंडा

रांची: डॉ रामदयाल मुंडा सिर्फ झारखंड के नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए अनमोल रत्न थे. उन्हें एक ऐसे व्यक्ति के रूप में याद किया जाता है, जिनका प्रभाव शिक्षित,अशिक्षित, शहरी व ग्रामीण सभी वर्गों में समान रूप से था. उक्त बातें मंगलवार को राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने कही. वे डॉ रामदयाल मुंडा की जयंती […]

रांची: डॉ रामदयाल मुंडा सिर्फ झारखंड के नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए अनमोल रत्न थे. उन्हें एक ऐसे व्यक्ति के रूप में याद किया जाता है, जिनका प्रभाव शिक्षित,अशिक्षित, शहरी व ग्रामीण सभी वर्गों में समान रूप से था. उक्त बातें मंगलवार को राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने कही.
वे डॉ रामदयाल मुंडा की जयंती के अवसर पर मोरहाबादी स्थित आर्यभट्ट सभागार में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहीं थीं. कार्यक्रम का आयोजन डॉ रामदयाल मुंडा द्वारा स्थापित संस्था रूम्बुल, जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग, केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा किया गया था. इसमें टाटा स्टील ने भी सहयोग किया. राज्यपाल ने कहा कि डॉ मुंडा साधारण लोगों के साथ भी वैसे ही मिलनसार थे, जैसे कि विश्व के बड़े विद्वान अौर राजनेताअों के साथ. राष्ट्रीय स्तर पर व्याप्त सामाजिक अौर आर्थिक असमानता को पाटने के लिए ऐसे ही आचरण व सोच की जरूरत है.

वे सांस्कृतिक आंदोलन को राजनीतिक आंदोलन से भी महत्वपूर्ण मानते थे. विदेशों में रहने के बाद भी वे सरल सहज बने रहे. राज्य की संस्कृति, संगीत व लोककला के उत्थान के लिए उन्होंने अपना सारा जीवन समर्पित कर दिया. रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रमेश कुमार पांडे ने कहा कि जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित करेंगे. इस अवसर पर प्रसिद्ध डॉक्यूमेंटरी फिल्म निर्माता मेघनाथ ने डॉ रामदयाल मुंडा के जीवन पर बन रही फिल्म के कुछ दृश्य दिखाये. यह फिल्म जल्द ही रिलीज होगी. कार्यक्रम में राज्यपाल के प्रधान सचिव एसके सत्पथी, मीरा मुंडा, डॉ रामदयाल मुंडा के पुत्र गुंजल इकिर सहित अन्य उपस्थित थे. इससे पूर्व डॉ रामदयाल मुंडा की तसवीर पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी. सुबह में मोरहाबादी स्थित डॉ रामदयाल मुंडा पार्क में डॉ मुंडा की प्रतिमा पर मार्ल्यापण कर श्रद्धांजलि दी गयी.

डॉ रामदयाल की जयंती पर हुआ सांस्कृतिक कार्यक्रम
पर्यटन, कला संस्कृति व खेलकूद विभाग द्वारा मंगलवार को आड्रे हाउस में डॉ रामदयाल मुंडा की जयंती मनायी गयी. कार्यक्रम का उदघाटन कला एवं संस्कृति मंत्री अमर बाउरी ने किया. माैके पर गायिका मृणालिनी अखौरी ने ‘झारखंड के गौरव थे वो, हम सब की शान हुए…..’ गीत पेश किये. वहीं मुकुंद नायक के दल तथा छऊ व पइका नृत्य कलाकारों ने भी कार्यक्रम प्रस्तुत किया. इस अवसर पर कला-संस्कृति विभाग के निदेशक अशोक कुमार सिंह, हरेंद्र सिन्हा, अनिल कुमार सिंह, कमल बोस, मधु मंसूरी समेत कई लोग मौजूद थे.
साहित्य, कला व संस्कृति के शिखर पुरुष थे डॉ मुंडा
रांची: पर्यटन, कला संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग (सांस्कृतिक निदेशालय)द्वारा मंगलवार को डॉ रामदयाल मुंडा की जयंती पर सेमिनार अौर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. होटवार स्थित डॉ रामदयाल मुंडा कला भवन में हुए इस कार्यक्रम में कई वक्ताअों ने डॉ रामदयाल मुंडा के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला. विभाग के निदेशक अशोक कुमार सिंह ने कहा कि डॉ रामदयाल मुंडा ने झारखंड को विदेशों में भी पहचान दिलायी. उनका व्यक्तित्व झारखंड को प्रेरित करता रहेगा.
डॉ कमल बोस ने कहा कि जब किसी व्यक्ति का कद उसके व्यक्तित्व से बड़ा हो जाता है, तो वह संस्था बन जाता है. डॉ रामदयाल मुंडा का व्यक्तित्व भी ऐसा ही था. वे साहित्य, कला अौर संस्कृति के शिखर पुरुष थे. डॉ गिरिधारी राम गोंझू ने कहा कि डॉ रामदयाल मुंडा झारखंडी संस्कृति के महानायक हैं. उन्होंने रतन सिंह मानकी के साथ मिल कर आदिवासी परंपराअों, धार्मिक मान्यताअों व विश्वास को आदि धर्म नामक पुस्तक में लिपिबद्ध करने का काम किया. डॉ मुंडा ने अपना सारा जीवन अखरा संस्कृति को जीवंत करने में लगा दिया. छोटानागपुर सांस्कृतिक संघ के ईश्वरी प्रसाद ने कहा कि झारखंडी संस्कृति, छोटानागपुरी संस्कृति को लेकर डॉ रामदयाल मुंडा से लंबी चर्चाएं होती थी. झारखंड में आदिवासी अौर सदान संस्कृति के मिलने से झारखंडी संस्कृति का निर्माण हुआ. आज झारखंड को फिर से समझने अौर बचाने की जरूरत है.
नागपुरी गायक मधु मंसूरी ने डॉ रामदयाल मुंडा से जुड़े कई संस्मरण व उनको समर्पित गीत सुनाया. साहित्यकार महादेव हांसदा ने कहा कि डॉ रामदयाल मुंडा बहुत सारी बातों को बहुत गहराई से सोचते/जानते थे. डॉ मुंडा कहा करते थे कि मुख्यधारा की संस्कृति आदिवासी संस्कृति है.
डॉ राजा राम महतो ने कहा कि पहले लोग आदिवासी नृत्य करने में शर्म महसूस करते थे. उसे हीन भावना से देखते थे, डॉ रामदयाल मुंडा ने इस हिचक को तोड़ा. उन्होंने झारखंड को एक नयी पहचान दी. नागपुरी कलाकार मुकुंद नायक ने कहा कि अपनी भाषा संस्कृति को लेकर उनका जो लगाव था, वह बहुत कम लोगों में दिखता है. सेमिनार में मंगल सिंह मुंडा, पत्रकार मधुकर सहित अन्य लोगों ने भी संबोधित किया. सेमिनार के दूसरे सत्र में सांस्कृतिक आयोजन हुए. मर्दानी झूमर अौर आदिवासी लोकनृत्य हुए. छात्राअों ने नागपुर कर कोरा गीत पर नृत्य किया.

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