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मदर-चाइल्ड ट्रैक रिकॉर्ड में हो रहा है सुधार

रांची़ : गर्भवती माताअों तथा इनसे जन्म लेनेवाले बच्चे पर सरकार नजर रखती है. मदर चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम (एमसीटीएस) के जरिये यह काम होता है. प्रसव बाद माता तथा बच्चे के नियमित टीकाकरण तथा इन्हें अन्य स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए गर्भवती व धात्री महिलाअों को उनके नाम-पता के साथ ट्रैक पर रखा जाता […]

रांची़ : गर्भवती माताअों तथा इनसे जन्म लेनेवाले बच्चे पर सरकार नजर रखती है. मदर चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम (एमसीटीएस) के जरिये यह काम होता है. प्रसव बाद माता तथा बच्चे के नियमित टीकाकरण तथा इन्हें अन्य स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए गर्भवती व धात्री महिलाअों को उनके नाम-पता के साथ ट्रैक पर रखा जाता है. इस रिकॉर्ड में तेजी से सुधार हो रहा है.
चार माह पूर्व जहां लक्ष्य के विरुद्ध करीब 23 फीसदी मां व बच्चे को ही ट्रैक पर लाया जा सका था. वहीं 15 अगस्त तक करीब 59 फीसदी माताअों व बच्चों का अॉनलाइन रिकॉर्ड बना लिया गया है. दरअसल पहले इस काम की मॉनिटरिंग नहीं हो पा रही थी. हालांकि अब भी कुछ जिलों की स्थिति तुलनात्मक रूप से बेहतर नहीं है. इनमें रांची (29 फीसदी), चतरा (39), धनबाद (37), रामगढ़ (41), जामताड़ा (45) व गुमला (46 फीसदी) शामिल हैं.
माता व बच्चों का लक्ष्य निर्धारण करने के लिए एक फार्मूला ट्रेंड के तहत अपनाया जाता है. यह माना जाता है कि शादीशुदा महिलाअों की कुल आबादी का दो से तीन फीसदी तक हर वर्ष गर्भवती होती हैं तथा बच्चे को जन्म देती हैं. इसी आधार पर चालू वित्तीय वर्ष 2016-17 में कुल 2.76 लाख गर्भवती तथा 2.41 लाख नवजात को ट्रैक पर लाने का लक्ष्य है.

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