रांची: राजधानी के सरकारी भवनों में सौर ऊर्जा से रोशनी देने का काम जल्द ही शुरू हो जायेगा. प्रोजेक्ट भवन, पुलिस मुख्यालय, समाहरणालय भवन रांची, मुख्यमंत्री सचिवालय, रिम्स जैसे संस्थानों में अब गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोत से बिजली उत्पादित कर, रोशनी देने की प्रक्रिया पूरी कर ली गयी है. प्रोजेक्ट भवन में 135 किलोवाट क्षमता, […]
रांची: राजधानी के सरकारी भवनों में सौर ऊर्जा से रोशनी देने का काम जल्द ही शुरू हो जायेगा. प्रोजेक्ट भवन, पुलिस मुख्यालय, समाहरणालय भवन रांची, मुख्यमंत्री सचिवालय, रिम्स जैसे संस्थानों में अब गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोत से बिजली उत्पादित कर, रोशनी देने की प्रक्रिया पूरी कर ली गयी है.
प्रोजेक्ट भवन में 135 किलोवाट क्षमता, पुलिस मुख्यालय में 70 किलोवाट क्षमता, समहरणालय में 125 किलोवाट क्षमता का सौर ऊर्जा पैनल और कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है. केंद्र सरकार ने सभी सरकारी भवनों में सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित कर बिजली की जरूरत पूरा करने का निर्देश दिया है. इसके अंतर्गत ही झारखंड के कई सरकारी भवनों में इसकी स्थापना की जा रही है.
राजधानी समेत अन्य जिलों में अवस्थित सरकारी भवनों में सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने की शुरुआत कर दी गयी है. यह काम झारखंड गैर पारंपरिक विकास प्राधिकार (जेरेडा) से सुचिबद्ध कंपनियां कर रही हैं. राजधानी रांची में अधिकतर सरकारी भवनों में सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना का जिम्मा एसजी इंटरप्राइजेज को दिया गया है.
सदर अस्पताल और समाहरणालय भवन भी
राज्य भर में समाहरणालय भवनों और सदर अस्पतालों को पहले चरण में लिया गया है. इतना ही नहीं झारखंड हाइकोर्ट में भी सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. सौर ऊर्जा से जुड़े पैनल, बैटरियां, कंट्रोल रूम के सामान वगैरह हाइकोर्ट परिसर में आ चुके हैं. सरकार की तरफ से सदर अस्पताल डालटनगंज, गढ़वा के समहरणालय भवन, सदर अस्पताल चाईबासा और हजारीबाग में भी सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित कराने का काम चल रहा है. संयंत्र की स्थापना में दो से तीन महीने तक का वक्त एजेंसी को लगता है.
कैसे काम करेगा संयंत्र
संयंत्र को बिजली की वैकल्पिक व्यवस्था के लिए रखा गया है. इसके लिए एक कंट्रोल रूम बनाया गया है, जहां दो-दो वोल्ट की बैटरियों को एसी (अल्टरनेटिव करेंट) में कन्वर्ट करने के लिए रखा गया है. चूंकि सौर ऊर्जा से डीसी (डायरेक्ट करेंट) वोल्ट बिजली प्राप्त होती है. इसलिए इसे एसी वोल्ट में बदल कर आपूर्ति की जाती है. 135 किलोवाट क्षमता के प्लांट से चार से पांच घंटे तक बिजली की अबाधित आपूर्ति की जा सकती है.