समिति द्वारा कई अनुशंसा की गयी है. इनके लागू होने से संचिकाओं के निष्पादन में कम समय लगेगा. इससे नीति निर्माण एवं योजनाओं को लागू करने के लिए निर्णय लेने में भी कम समय लगेगा. प्रतिवेदन की मुख्य अनुशंसाओं में ई-संचिका प्रणाली, शक्तियों का प्रत्यायोजन, सचिवालय की पद संरचना के तहत सभी रिक्त पदों को भरने, अंतर विभागीय परामर्श तथा सभी संवर्ग के कर्मियों के क्षमता संवर्धन के लिए उच्च स्तरीय प्रशिक्षण का उल्लेख किया गया है.
ई-संचिका प्रणाली के तहत संचिकाओं का गठन एवं परिचालन कंप्यूटरीकृत होगा. पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में सर्वप्रथम यह प्रौद्योगिकी एवं ई-गवर्नेंस विभाग में लागू किया जायेगा. संचिका के शीघ्र निष्पादन के लिए की गयी अनुशंसाओं में कहा गया है कि जिन स्तरों पर मामले के निस्तारण की शक्ति प्रत्यायोजित है, उसी स्तर पर उसका निस्तार किया जाना चाहिए. इसके बावजूद दायित्वों से बचने के लिए मामला उच्च स्तर पर प्रतिवेदित किया जाता है, तो वैसे पदाधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई की जानी चाहिए. अंतर विभागीय परामर्श की आवश्यकता है, तो उसे निश्चित समय सीमा में एक ही साथ प्राप्त की जानी होगी. परामर्श से संबंधित मामले उप सचिव से न्यून स्तर पर निष्पादित नहीं किये जायेंगे.