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10 साल बाद अपरशंख जलाशय की नहर में पहुंचा पानी

रामगढ़ की भैरवा जलाशय योजना में नदी को बांधने का काम पूरा, होने लगा पानी का संग्रहण सतीश कुमार रांची : जल संसाधन विभाग की महत्वाकांक्षी दो महत्वपूर्ण मध्यम सिंचाई योजना का काम निर्धारित लक्ष्य के तहत पूरा कर लिया गया है. पिछले 35 साल में गुमला में अपरशंख जलाशय योजना का काम पूरा नहीं […]

रामगढ़ की भैरवा जलाशय योजना में नदी को बांधने का काम पूरा, होने लगा पानी का संग्रहण
सतीश कुमार
रांची : जल संसाधन विभाग की महत्वाकांक्षी दो महत्वपूर्ण मध्यम सिंचाई योजना का काम निर्धारित लक्ष्य के तहत पूरा कर लिया गया है. पिछले 35 साल में गुमला में अपरशंख जलाशय योजना का काम पूरा नहीं हो पाया था. अब जलाशय के दोनों तरफ बनायी गयी 27 किलोमीटर नहर में पानी छोड़ दिया गया है.
इसका फायदा नहर के दोनों किनारे के किसान उठा सकते हैं. हालांकि अभी नहर से पानी वितरण की व्यवस्था नहीं हो पायी है. काम शुरू होने के 10 साल बाद नहर के एक छोर से दूसरे छोर तक पानी पहुंचा है.
नदी के बहाव को रोकने का काम पूरा : रामगढ़ की भैरवा जलाशय योजना के तहत नदी के बहाव को रोकने (क्लोजर) का काम पूरा कर लिया गया है. यहां पानी का संग्रहण होने लगा है. इस योजना का काम 31 वर्षों से चल रहा है.
विभाग की ओर से इस वित्तीय वर्ष में अपरशंख योजना के तहत नहर में पानी छोड़ने और भैरवा जलाशय योजना के तहत नदी के बहाव को रोकने (क्लोजर) का काम पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था.
21 बड़ी व मध्यम…
मध्यम सिंचाई योजनाएं
अपरशंख जलाशय योजना, सुकरी जलाशय योजना, रैसा जलाशय योजना, सोनुआ जलाशय योजना, सुरंगी जलाशय योजना, पंचखेरो जलाशय योजना, भैरवा जलाशय योजना, नकटी जलाशय योजना, रामरेखा जलाशय योजना, केशो जलाशय योजना, बटाने जलाशय योजना, तजना जलाशय योजना व शुरू जलाशय योजना.
अपरशंख योजना से क्या होगा लाभ
7068 हेक्टेयर खेतों की होगी सिंचाई
अपरशंख जलाशय के शुरू होने पर 7068 हेक्टेयर खेत में पानी पहुंचेगा. 100 से अधिक गांवों में सिंचाई सुविधा बेहतर होगी . ये सभी गांव प्रखंड व जिला मुख्यालय से कटे हैं. यहां पर रोजगार के साधन नहीं है. यहां के लोग कृषि पर आश्रित हैं. डैम बनने से किसानों को सिंचाई सुविधा मिल पायेगी. अभी साल में मात्र एक बार बरसात में ही किसान खेती करते हैं. पर अब किसान सालों भर खेती कर सकेंगे.
35 साल पहले शुरू हुई थी अपरशंख जलाशय योजना
गुमला जिले के डुमरी प्रखंड अंतर्गत टंगाल गांव के समीप शंख नदी पर
पहली बार 1981 में 9.19 करोड़ की प्रशासनिक स्वीकृति. 2007 में पुनरीक्षित प्रशासनिक स्वीकृति 141.19 करोड़ प्रदान की गयी
जनवरी 2016 तक
144.26 करोड़ खर्च
जलाशय की बायीं ओर नहर की लंबाई 14.04 किमी व दायीं ओर 13.10 किमी
31 साल बाद पूरे हुए भैरवा जलाशय के काम, नहर अधूरी
रामगढ़ के गोला प्रखंड अंतर्गत सोनाई गांव के पास भैरवी नदी पर निर्माणाधीन
1985 में 20.19 करोड़ की प्रशासनिक स्वीकृति. जनवरी 2013 में पुनरीक्षित स्वीकृति 118.30 करोड़ प्रदान की गयी
जनवरी, 16 तक 94.24 करोड़ खर्च
जलाशय के दोनों तरफ 32 किमी
नहर बननी है. आंशिक काम हुआ है
योजना पूरी होने पर 3643 हेक्टेयर में खरीफ और 1214 हेक्टेयर में रबी फसल का पटवन किया जा सकता है
21 बड़ी और मध्यम
सिंचाई परियोजना लंबित
जल संसाधन की 21 बड़ी व मध्यम सिंचाई योजनाएं लंबित हैं. हालांकि सरकार प्रयास कर रही है कि इन योजनाओं पर वैसे अवयवों पर राशि खर्च की जाये, जिससे किसानों को आंशिक रूप से भी सिंचाई की सुविधा उपलब्ध करायी जा सके.
वृहद् सिंचाई योजनाएं
सुवर्णरेखा बहुद्देशीय परियोजना, अजय बराज परियोजना, गुमानी बराज परियोजना, पुनासी जलाशय परियोजना, कोनार सिंचाई परियोजना, अमानत बराज परियोजना, उत्तरी कोयल जलाशय परियोजना, उत्तरी कोयल जलाशय परियोजना, बटेश्वर स्थान गंगा पंप नहर योजना

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