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निजी क्लिनिक में मरीज भरती नहीं कर सकते सरकारी डॉक्टर
रांची : सरकारी डॉक्टर अब अपने अस्पताल और क्लिनिक में मरीजों को भर्ती नहीं कर सकेंगे. स्वास्थ्य विभाग के सचिव के विद्यासागर द्वारा जारी आदेश में डॉक्टरों को चेतावनी दी गयी है कि अगर सरकारी डॉक्टरों ने आदेश का उल्लंघन किया तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जायेगी. स्वास्थ्य विभाग के इस आदेश के दायरे […]
रांची : सरकारी डॉक्टर अब अपने अस्पताल और क्लिनिक में मरीजों को भर्ती नहीं कर सकेंगे. स्वास्थ्य विभाग के सचिव के विद्यासागर द्वारा जारी आदेश में डॉक्टरों को चेतावनी दी गयी है कि अगर सरकारी डॉक्टरों ने आदेश का उल्लंघन किया तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जायेगी.
स्वास्थ्य विभाग के इस आदेश के दायरे में राज्य के गैर शैक्षणिक संवर्ग के डॉक्टर, मेडिकल कॉलेज के शिक्षक और मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के चिकित्सक शामिल होंगे. इधर, झासा ने इस आदेश को तुगलकी फरमान बताते हुए इसका विरोध किया है. झासा का कहना है कि इस आदेश से सर्जन फिजिशियन बन कर रह जायेगा.
निर्देश का उल्लंघन करने वाले डॉक्टरों पर होगी अनुशासनात्मक कार्रवाई
विभाग का आदेश
चिकित्सक अपनी कार्यावधि तथा अोपीडी के समय में किसी प्रकार की निजी प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे
ड्यूटी आॅवर एवं ओपीडी के उपरांत ही निजी प्रैक्टिस कर सकते हैं
शहरी क्षेत्र में अस्पताल परिसर से 500 मीटर एवं ग्रामीण क्षेत्र में 250 मीटर के बाहर ही निजी प्रैक्टिस कर सकते हैं
किसी भी स्थिति में जिला के बाहर प्रैक्टिस नहीं कर सकते हैं
अस्पताल परिसर में स्थित सरकारी आवास में निजी प्रैक्टिस नहीं कर सकते हैं
चिकित्सक कसी निजी अस्पताल, नर्सिंग हाेम एवं जांच घर में सेवा नहीं दे सकते हैं
सरकारी सेवा में कार्यरत चिकित्सा पदाधिकारी अपने निजी क्लिनिक में मरीजों को भरती कर इनडोर नहीं कर सकते हैं
झासा ने किया विरोध
झारखंड स्टेट हेल्थ सर्विसेज एसोसिएशन (झासा) के पदाधिकारियों की बैठक आइएमए भवन में हुई, जिसमें स्वास्थ्य सचिव के आदेश का विरोध किया गया. चिकित्सकों ने कहा कि सरकार शीघ्र इस आदेश पर विचार नहीं करती है, तो आंदोलन किया जायेगा. बैठक में डॉ विमलेश, डॉ प्रदीप सिंह, डॉ रितेश रंजन समेत अन्य चिकित्सक मौजूद थे.
झासा की मांग
बायोमिट्रिक उपस्थिति व्यवस्था से चिकित्सकाें को बरी किया जाये
सुबह नौ बजे से रात नौ बजे तक ओपीडी की सुविधा देश में कहीं नहीं है, इसलिए यह आदेश समाप्त करें
42 चिकित्सकों पर की गयी कार्रवाई को समाप्त किया जाये
सरकारी सेवा में कार्यरत विशेषज्ञ चिकित्सकों को विशेषज्ञ संवर्ग में समाहित किया जाये
दंत चिकित्सकों को डीएसीपी दिया जाये
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