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अपाेलाे के साथ किया गया एकरारनामा ही गलत : मेयर
रांची: मेयर आशा लकड़ा ने रांची नगर निगम का चेन्नई अपोलो के साथ हुए एकरारनामा पर सवाल उठाया है. मेयर ने कहा कि निगम के अधिकारी अस्पताल प्रबंधन को पत्र लिख कर जल्द से जल्द अस्पताल का निर्माण कराने का आग्रह कर रहे हैं, लेकिन नगर निगम की ओर से पूर्व में किया गया एकरारनामा […]
रांची: मेयर आशा लकड़ा ने रांची नगर निगम का चेन्नई अपोलो के साथ हुए एकरारनामा पर सवाल उठाया है. मेयर ने कहा कि निगम के अधिकारी अस्पताल प्रबंधन को पत्र लिख कर जल्द से जल्द अस्पताल का निर्माण कराने का आग्रह कर रहे हैं, लेकिन नगर निगम की ओर से पूर्व में किया गया एकरारनामा ही गलत है. इसलिए निगम इसमें संशोधन कर फिर से एकरारनामा करे. इसके बाद अस्पताल का निर्माण कार्य प्रारंभ हो. इसको लेकर मेयर ने नगर आयुक्त को पत्र लिखा है.
संशोधन कर फिर से एकरारनामा करने का दिया निर्देश
प्रस्तावित अस्पताल को जमीन का लीज 30 साल के लिए दिया गया है. उसके बाद 15 साल के लिए स्वत: एकरारनामा का प्रावधान किया गया है, जो अनुचित है. इसे 30 वर्ष के बजाय सीधे 45 साल क्यों नहीं लिखा गया है.
अस्पताल में बीपीएल के लिए पांच प्रतिशत बेड आरक्षित रखा गया है. ओपीडी में जांच नि:शुल्क है, लेकिन नर्सिंग सुविधा नहीं है, जो गलत है.
एकरारनामा में लिखा है कि अस्पताल का रेट ऑपरेटर तय करेगा, लेकिन यह ऑपरेटर कौन होगा. इस पर कुछ स्पष्ट लिखा हुआ नहीं है.
निगम की जमीन को गिरवी रख कर अपोलो द्वारा ऋण लेने का प्रावधान है, लेकिन ऋण कौन देगा इसका नाम नहीं है. यदि किसी कारणवश एकरारनामा रद्द हो जाता है, तो निगम को ऋण भार मुक्त जमीन भवन सहित मिलना चाहिए. साथ ही ऋण चुकाने की जिम्मेवारी अस्पताल प्रबंधन की होनी चाहिए, जिसका जिक्र एकरारनामा में नहीं है.
अस्पताल कितने की लागत से बनेगा, यह एकरारनामा में लिखा हुआ नहीं है. मौखिक जानकारी मिल रही है कि अस्पताल का निर्माण 125 करोड़ की लागत से होगा. इसका जिक्र एकरारनामा में किया जाना चाहिए था.
अस्पताल अपने इनकम का .05 प्रतिशत निगम को देगा, जो निगम के लिए फायदेमंद नहीं है. यह रेवेन्यू छह माह में तीन प्रतिशत होता है, क्या यह उचित है.
एकरारनामा के अनुसार अगर अस्पताल में बीपीएल मरीजों की संख्या अधिक हुई, तो इसका भुगतान राज्य सरकार करेगी. तय समय पर अगर राज्य सरकार ने राशि का भुगतान नहीं किया, तो अस्पताल प्रबंधन 18 प्रतिशत ब्याज सरकार से लेगा. क्या 18 प्रतिशत ब्याज अधिक नहीं है.
नगर निगम ने यह आग्रह किया था कि अस्पताल में डिप्टी मेयर, पार्षदों व निगम के कर्मचारियों को सुविधा दी जाये, जिस पर कोई स्पष्ट राय नहीं है.
चेन्नई अपोलो की फैक्ट फाइल
वर्ष 2011 में चेन्नई अपोलो के निर्माण की योजना बनी
2013 में निगम के स्टैंडिंग कमेटी व बोर्ड ने घाघरा में अस्पताल निर्माण के प्रस्ताव को मंजूरी दी
इसी वर्ष तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र सिंह ने चेन्नई अपोलो के साथ एलओए किया.
वर्ष 2014 में निगम ने अस्पताल प्रबंधन के साथ एग्रीमेंट किया.
ये सवाल भी उठाये गये
अस्पताल के एकरारनामा में उसका नक्शा नहीं है.
अस्पताल की चतुर्थ श्रेणी के पदों में स्थानीय लोगों को बहाल किया जाये.
स्थानीय नर्सों की बहाली की जाये.
अस्पताल में पार्किंग, दुकान व एंबुलेंस की सारी सेवाएं नगर निगम के अधीन होनी चाहिए.
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