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बहुफसलीय तकनीक से खेती करें किसान : सरयू

कार्यक्रम . बीएयू में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पर कार्यशाला पीएचडी चेंबर झारखंड चैप्टर द्वारा बीएयू में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. मौके पर मंत्री सरयू राय ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को महत्वपूर्ण कदम बताया. रांची : पीएचडी चेंबर, झारखंड चैप्टर ने बुधवार को बिरसा कृषि विवि सभागार में […]

कार्यक्रम . बीएयू में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पर कार्यशाला
पीएचडी चेंबर झारखंड चैप्टर द्वारा बीएयू में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. मौके पर मंत्री सरयू राय ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को महत्वपूर्ण कदम बताया.
रांची : पीएचडी चेंबर, झारखंड चैप्टर ने बुधवार को बिरसा कृषि विवि सभागार में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पर कार्यशाला का आयोजन किया. खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने कहा कि फसल बीमा योजना का लाभ लेने के लिए अधिक-से-अधिक किसान आगे आयें. उन्होंने कहा कि बढ़ती जनसंख्या और खेती के लिए जमीन का घटता रकबा चिंता पैदा कर रहा है. इसके लिए किसान बहुफसलीय तकनीक अपनायें, इससे न सिर्फ उनकी आजीविका पर सकारात्मक असर पड़ेगा, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था पर भी दूरगामी प्रभाव पड़ेंगे. फसल के नुकसान की भरपाई की दिशा में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना महत्वपूर्ण कदम है.
श्री राय ने कहा कि कृषि को उद्योग का दर्जा दिया जाना पूरी तरह से बेमेल है. उद्योग और देश की समूची अर्थव्यवस्था की असल जड़ कृषि ही है. खेती को खेती का ही दर्जा बनाये रखा जाये. अगर मानसून और दूसरे कारणों से कृषि को नुकसान पहुंचता है, तो समूचे उद्योग जगत को इसका नुकसान उठाना पड़ता है.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना आदर्श : बिरसा कृषि विवि के कुलपति जॉर्ज जॉन ने कहा कि देश की 70 फीसदी आबादी अब भी कृषि पर ही आश्रित है.
वर्तमान की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना आदर्श योजना है. ग्रामीण विकास के क्षेत्र में कार्यरत संस्थाओं, सिविल सोसाइटी के माध्यम से योजना को गांव–गांव तक ले जाने की आवश्यकता है.
परंपरागत कृषि पद्धति से कठिनाई : कृषि निदेशक जटाशंकर चौधरी ने कहा कि झारखंड में औसतन 1300 मिली. तक बारिश होती है. सूखाड़ वाले समय में भी 900 मिली. तक बारिश होती है. इसके बावजूद हमारे यहां कृषक समाज चुनौतियों से जूझ रहा है.
परंपरागत कृषि पद्धति से बंधे होने के कारण उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. 38 लाख योग्य कृषि भूमि हमारे राज्य में है, परंतु 26 लाख हेक्टेयर भूमि पर ही खेती हो पा रही है. प्रधामंत्री फसल बीमा योजना के तहत सभी प्रकार की फसलों को शामिल किया गया है. स्मार्टफोन के माध्यम से कोई भी किसान आसानी से अपने नुकसान का अनुमान लगा सकते हैं.
मौके पर बिरसा कृषि विवि के वरीय अधिकारी आरपी सिंह रतन, पीएचडी चेंबर, झारखंड चैप्टर के चेयरमैन पवन बजाज, एसके सेठी, दुर्गेश शर्मा, जितेंद्र नारायण सिंह, फरहा तबस्सूम, नीता प्रसाद सहित विभिन्न बीमा कंपनियों के प्रतिनिधि आदि उपस्थित थे. संचालन इंश्योरेंस कमिटी के प्रमुख योगेश व धन्यवाद ज्ञापन देवजीत तालापात्र ने दिया.

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