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450 लोगों की बस्ती में न पानी है और न बिजली

रांची :राजधानी में एक इलाका ऐसा भी है, जहां की स्थिति किसी गांव से भी बदतर है. हम बात कर रहे हैं शहर के पॉश इलाके मेकॉन के एल-42 ब्लॉक स्थित बस्ती की, जहां के लोगों के पास पानी का स्थायी स्रोत नहीं है. किसी भी घर में टेलीविजन की उम्मीद बेमानी है, क्योंकि यहां […]

रांची :राजधानी में एक इलाका ऐसा भी है, जहां की स्थिति किसी गांव से भी बदतर है. हम बात कर रहे हैं शहर के पॉश इलाके मेकॉन के एल-42 ब्लॉक स्थित बस्ती की, जहां के लोगों के पास पानी का स्थायी स्रोत नहीं है. किसी भी घर में टेलीविजन की उम्मीद बेमानी है, क्योंकि यहां बिजली ही नहीं है.

इस बस्ती की कुल आबादी 450 के आसपास है, लेकिन यहां के लोगों को आज तक मूलभूत सुविधाएं मयस्सर नहीं हैं. इसका खुलासा तब हुआ जब महिला हेल्प लाइन द्वारा यहां ओपेन हाउस जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया. हेल्प लाइन द्वारा महिलाओं की काउंसेलिंग की गयी. उन्हें कानूनी एवं स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां दी गयीं. साथ ही ट्रैफिकिंग के मुद्दे पर भी बात की गयी.

वोटर और राशन कार्ड हैं, लेकिन सुविधाएं नहीं : जागरूकता कार्यक्रम में बस्ती के 35 घरों की महिलाओं ने हिस्सा लिया था. समस्याओं के बारे में पूछते ही इन महिलाओं का दर्द छलक उठा. सरकारी तंत्र से नाराज दिख रही इन महिलाओं ने बताया कि महिला अधिकार की बात तो दूूर, वे सरकार द्वारा प्राप्त जीने-खाने के अधिकार से भी वंचित हैं. बस्ती में हर व्यक्ति के पास वोटर कार्ड और राशन कार्ड है. नेता हर चुनाव में हाथ जोड़ कर उनसे वोट मांगने आते हैं और यहां के लोग हर चुनाव में वाेट भी देते हैं, लेकिन आज तक किसी जनप्रतिनिधि ने बस्ति में मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने की पहल नहीं की. यहां न तो आंगनबाड़ी केंद्र है न ही कोई महिला समूह.
कौन सुनेगा, किसको सुनाएं?
हम आज भी पानी-बिजली जैसी जरूरी सुविधाओं से दूर हैं. बिजली के अभाव में हमारे बच्चों को रात में पढ़ाई में दिक्कत होती है. देश-दुनिया के बारे में जानने के लिए टीवी देखना जरूरी है, लेकिन बिजली के अभाव में टीवी का क्या करेंगे?
गीता देवी
सरकार ने हमारा राशन कार्ड और वोटर कार्ड तो बनवा दिया है, लेकिन पानी-बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं. हम देश के नागरिक हैं, हर चुनाव में वोट डालते हैं तो हमें मूलभूत सुविधाएं भी मिली चाहिए.
जीतन
हमारी बस्ती में लगभग 450 लोग रहते हैं. एक सरकार को जिताने के लिए इतने वोट काफी हैं. इसके बावजूद सरकार हमारे बारे में नहीं सोचती है. हम अंधेरे में हैं. न बिजली है न पानी. लगता है कि हम राजधानी में नहीं किसी गांव में रहते हैं.
मालती

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