रांची: जिला कृषि पदाधिकारी गढ़वा ने 18.24 लाख रुपये मूल्य की खाद(डोलोमाइट) खरीदने से पहले ही किसानों के बीच बांट दी. वहीं 320.40 क्विंटल धान बीज खरीदा गया, लेकिन किसानों को नहीं दिया गया. जिला कृषि पदाधिकारी के इस कारनामे से राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत पूर्वी भारत में हरित क्रांति के विस्तार कार्यक्रम […]
रांची: जिला कृषि पदाधिकारी गढ़वा ने 18.24 लाख रुपये मूल्य की खाद(डोलोमाइट) खरीदने से पहले ही किसानों के बीच बांट दी. वहीं 320.40 क्विंटल धान बीज खरीदा गया, लेकिन किसानों को नहीं दिया गया. जिला कृषि पदाधिकारी के इस कारनामे से राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत पूर्वी भारत में हरित क्रांति के विस्तार कार्यक्रम के तहत उत्पादन बढ़ने के बजाय कम हो गया. प्रधान महालेखाकार(पीएजी) ने गढ़वा जिला कृषि पदाधिकारी के कार्यालय का ऑडिट करने के बाद सरकार को इससे संबंधित रिपोर्ट भेजी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य चावल का उत्पादन बढ़ाना है.
गढ़वा में इस कार्यक्रम पर खर्च करने के बावजूद उत्पादन लगातार कम होता गया. वर्ष 2012-13 में उत्पादन 35.40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर था़ वहीं 2015-16 में यह गिर कर 7.20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो गया. इसका मुख्य कारण योजना के क्रियान्वयन में भारी गड़बड़ी रही.
जिला कृषि पदाधिकारी के कार्यालय में इस योजना को क्रियान्वित करने से संबंधित दस्तावेज की जांच में पाया गया कि वर्ष 2014-15 में मेसर्स कृषि विकास केंद्र (पलामू) से 320.40 क्विंटल धान के बीज खरीदे गये. इसके लिए आपूर्तिकर्ता को 2614 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 8.37 लाख रुपये का भुगतान किया गया, लेकिन किसानों के बीच इस बीज का वितरण नहीं किया गया. 2014-15 में ही रोहिनी बायो एग्रोकेम से 18.27 लाख रुपये की लागत पर 893 एमटी खाद (डोलोमाइट) खरीदी गयी. जांच में पाया गया कि डोलामाइट की खरीद तीन सितंबर व 30 सितंबर को हुई, लेकिन प्रखंडों में इसका वितरण सितंबर से पहले दिखाया गया.
इसी आपूर्तिकर्ता से 190 क्विंटल बोरोन(10.5%), 950 किलोग्राम बीएसपी, 250 किलोग्राम ट्राइकोडरमा सहित अन्य सामग्री खरीदी गयी, लेकिन रंका को छोड़ कर और कहीं इसके वितरण के दस्तावेज पर प्रखंड तकनीकी प्रबंधक, सहायक तकनीकी प्रबंधक और बीडीओ के हस्ताक्षर नहीं हैं. किसानों के बीच इनका वितरण हुआ या नहीं, यह सुनिश्चित नहीं किया जा सका. ऑडिट में पाया गया कि वर्ष 2013-14 में कोलकाता की कंपनी मेसर्स बेनाबेथी से 40 ड्रम सीडर खरीदे गये, लेकिन किसानों के बीच इसका वितरण नहीं किया गया.
क्या है योजना
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत पूर्वी भारत में हरित क्रांति का विस्तार( बीजीआरइआइ) कार्यक्रम की शुरुआत की गयी थी. इसे झारखंड, बिहार,असम, छत्तीसगढ़, पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में लागू किया गया है. इसके तहत किसानों का चयन कर 1000 हेक्टेयर के समूह में खेती करनी थी. साथ ही चुने गये किसानों को मुफ्त बीज, सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे जिंक, बोरोन, आइपीएम,आइएमएम और ड्रम सीडर आदि देना था. योजना का उद्देश्य फसलों का उत्पादन बढ़ा कर राज्यों को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाना है.
खर्च और उत्पादन का ब्योरा
वित्तीय वर्ष खर्च उत्पादन
2012-13 140.67 35.40
2013-14 100.46 27.50
2014-15 94.99 13.20
2015-16 169.19 7.20
खर्च लाख रुपये में, उत्पादन क्विंटल प्रति हेक्टेयर में