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एक अमीन माप रहे हैं छह अंचलों की जमीन
विडंबना. जमीन की मापी के लिए लग रहा नंबर रांची : राजधानी रांची के बड़े हिस्से के लिए मात्र एक ही अमीन हैं. एक ही अमीन रांची शहरी के हिस्से के साथ ही कांके व रातू के पूरे इलाके का काम संभाल रहे हैं. वह भी तब जब शहर अंचल बंट कर कुल चार हो […]
विडंबना. जमीन की मापी के लिए लग रहा नंबर
रांची : राजधानी रांची के बड़े हिस्से के लिए मात्र एक ही अमीन हैं. एक ही अमीन रांची शहरी के हिस्से के साथ ही कांके व रातू के पूरे इलाके का काम संभाल रहे हैं. वह भी तब जब शहर अंचल बंट कर कुल चार हो गये हैं. इस तरह छह अंचलों का काम एक ही अमीन पर है.
इन इलाकों की जमीन की मापी वही कर रहे हैं. हर जगह उन्हें ही दौड़ना पड़ रहा है. इतना ही नहीं, नामकुम अंचल के अमीन भी अक्तूबर में रिटायर हो गये हैं, तबसे दूसरे अमीन ही यहां का भी कामकाज देख रहे हैं. ऐसे में यहां जमीन मापी कराना मुश्किल होता जा रहा है. जमीन मापी कराने के लिए लोगों को दौड़ना पड़ रहा है. कहीं-कहीं तो मापी के लिए एक-डेढ़ माह की तारीख मिल रही है.
क्यों है ऐसी स्थिति
लंबे समय से विभिन्न जिलों में अमीन की बहाली नहीं हुई है. ऐसे में धीरे-धीरे सेवानिवृति के बाद अमीन कम होते गये हैं. वहीं अंचलों की संख्या भी लगातार बढ़ती गयी है. इस तरह अंचल बढ़ कर 253 हो गये, पर अमीन कम होते गये. वहीं हर जिला भू-अर्जन कार्यालय के लिए भी दो-दो अमीन का पद सृजित है. वहां जरूरत पड़ने पर तत्काल अमीन की जरूरत होती है. जिले की संख्या बढ़ने से भू-अर्जन कार्यालय की संख्या भी बढ़ी. ऐसे में अमीन का पद भी और बढ़ा, पर नये अमीन नहीं आये
.
राज्य भर में क्या है स्थिति
राज्य भर के लिए करीब 305 अमीन की जरूरत है, पर अभी करीब 100 अमीन ही हैं. ऐसे में करीब 200 अमीन की जरूरत है. संबंधित विभाग ने अमीन की बहाली की प्रक्रिया की है, पर अभी तक उनकी बहाली नहीं हो सकी है.
ट्रेनिंग भी है ठप
पहले अमीन की ट्रेनिंग के लिए एकीकृत बिहार के भागलपुर में सरकारी ट्रेनिंग संस्थान थी. लोग वहीं से जमीन मापी का गुण सीखते थे, लेकिन अभी झारखंड में कहीं भी ट्रेनिंग सेंटर नहीं है, जहां इसकी ट्रेनिंग ली जा सके.
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