पद को अप्रासंगिक मानते हुए इसे समाप्त करने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है
रांची : झारखंड सरकार प्रमंडलीय आयुक्त का पद खत्म करने पर विचार कर रही है. मौजूदा प्रशासनिक व्यवस्था में प्रमंडलीय आयुक्त के पद को अप्रासंगिक मानते हुए इसे समाप्त करने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मुख्य सचिव को प्रमंडलीय आयुक्त के कार्यों और मौजूदा परिप्रेक्ष्य में पद की महत्ता का मूल्यांकन करने का निर्देश दिया है.
उन्होंने कर्मचारियों की सेवा अन्यत्र समायोजित करते हुए प्रमंडलीय आयुक्त कार्यालयों के बिना प्रशासनिक व्यवस्था का स्वरूप निर्धारित करते हुए प्रस्ताव तैयार करने को कहा है. मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद इस पर काम शुरू कर दिया गया है. मालूम हो कि जनवरी में राज्य सरकार ने जोनल आइजी के कार्यों को अप्रासंगिक मानते हुए उसे समाप्त कर दिया था. उस समय प्रमंडलीय आयुक्त के पद को भी समाप्त करने पर विचार किया गया था. हालांकि, तब इस पर अंतिम निर्णय नहीं हो सका था.
सीएनटी, एसपीटी में भू-विवाद की सुनवाई का है अधिकार
छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी) और संताल परगना टेनेंसी एक्ट (एसपीटी) के प्रावधानों में प्रमंडलीय आयुक्त को भू विवाद से संबंधित मामलों की सुनवाई का अधिकार है. उपायुक्त की अदालत से असंतुष्ट होने के बाद प्रमंडलीय आयुक्त की अदालत में ही अपील का प्रावधान है.
इस बिंदु पर फैसला नहीं होने की वजह से ही सरकार के अप्रासंगिक मानने के बाद भी प्रमंडलीय आयुक्त का पद समाप्त नहीं किया जा सका था. अब मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद एक बार फिर से मामले का हल निकालने की कोशिश की जा रही है. सूत्र बताते हैं कि सरकार ने बीच का रास्ता खोज लिया है. व्यवस्था में सरलीकरण के लिए कानून में बदलाव किये बिना प्रमंडलीय आयुक्त के कार्यों को हस्तांतरित करने की कार्यवाही तैयार की जा रही है.