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स्थानीय नीति का लक्ष्य झारखंड की खनिज संपदा हासिल करना : अग्निवेश

रांची : स्वामी अग्निवेश ने कहा कि झारखंड की स्थानीय नीति का लक्ष्य यहां की खनिज संपदा है, क्योंकि इसके बिना जीडीपी नहीं बढ़ सकता़ मोदी सरकार झारखंड, ओड़िशा, छत्तीसगढ़ जैसे राज्य बड़े-बड़े उद्योगपतियों को देना चाहती हैं, जबकि आदिवासी इसके मालिक है़ं विकास का पर्व आदिवासियोें की लाशों पर मनेगा़. यहां 88 फीसदी झारखंडी […]

रांची : स्वामी अग्निवेश ने कहा कि झारखंड की स्थानीय नीति का लक्ष्य यहां की खनिज संपदा है, क्योंकि इसके बिना जीडीपी नहीं बढ़ सकता़ मोदी सरकार झारखंड, ओड़िशा, छत्तीसगढ़ जैसे राज्य बड़े-बड़े उद्योगपतियों को देना चाहती हैं, जबकि आदिवासी इसके मालिक है़ं विकास का पर्व आदिवासियोें की लाशों पर मनेगा़.

यहां 88 फीसदी झारखंडी हैं और नीति के लागू होते ही एक साल के अंदर बड़ा स्थानांतरण होगा. जैसा चीन ने तिब्बत में किया था और तिब्बती ही अपने क्षेत्र में अल्पसंख्यक हो गये. यह आदिवासियों का सांस्कृतिक संहार है, जिसमें गोली-बंदूक नहीं, कलम की नोक का प्रयोग किया जा रहा है़ वह रविवार को आदिवासी बुद्धिजीवी मंच के संवाददाता सम्मेलन में बोल रहे थे़ यह कार्यक्रम स्थानीय नीति रद्द करने की मांग को लेकर होटल अशोक में आयोजित किया गया था़.

सत्ताधारी दल के नेता स्पष्ट करें अपनी भूमिका : उन्होंने कहा कि यह राजनीतिक लड़ाई है. सत्ताधारी दल के नेताओं को भी इधर या उधर होना होगा. पांचवी व छठी अनुसूची का उल्लंघन संविधान का उल्लंघन है़ स्थानीय नीति का गजट नोटिफिकेशन का भी उल्लंघन है. यह आदिवासियों की मौत का फरमान है. रघुवर सरकार ने इसे वेबसाइट पर भी जारी नहीं किया और न किसी तरह की बहस करायी. अधिसूचना में स्थानीय व्यक्ति व स्थानीय निवासी के बीच घालमेल किया गया है. इसे बनाने में यहां के लोगों की भागीदारी नहीं है़ ऐसा दिल्ली में बैठे लोग और अमेरिका, यूरोप, जापान के काॅरपोरेट जगत के इशारों पर किया जा रहा है. वे जानते हैं कि आदिवासी बंटे हुए है़ं यदि कोई आगे आया, तो उसे खरीद लेंगे़ पर यहां की धरती पर जबरदस्त लड़ाई होनेवाली है और रघुवर सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो जायेगी़.
झारखंड के लोग इस लड़ाई को मजबूती से लड़ें. उनके जैसे सैकड़ों मानवाधिकार कार्यकर्ता अब यहां अधिक से अधिक समय देंगे. वह इस मामले को संयुक्त राष्ट्र संघ मेंं भी ले जायेंगे. यह आदिवासियों के अस्तित्व, अस्मिता की लड़ाई है. यदि अब भी नहीं संभलें, तो मिट जायेंगे.
राष्ट्रीय संयोजक विक्टर माल्टो ने कहा कि वर्तमान स्थानीयता नीति एक फरजी दस्तावेज है. इसे बनाने का अधिकार संसद को है, राज्य सरकार को नही़ं झारखंड उच्च न्यायालय ने स्थानीय व्यक्ति को परिभाषित करने के लिए कहा था, स्थानीय निवासी को नहीं. इन दोनों में बड़ा अंतर है़ उन लोगों को स्थानीय कैसे माना जा सकता है, जिन्होंने सीएनटी, एसपीटी, पी-पेसा, विलकिंसन रूल आदि का उल्लंघन कर यहां मालिकाना हक हासिल किया है? एक कटऑफ डेट तय कर एक बड़ी आबादी पर स्थानीयता थोपी जा रही है. यह नीति कम से कम अनुसूचित क्षेत्रें में तुरंत रद्द की जाये. इन क्षेत्रें में नगर निगम व त्रिस्तरीय पंचायतों के अवैध गठन के खिलाफ हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में मामले लंबित हैं और सरकार वहां जवाब देने से भाग रही है. देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और झारखंड की राज्यपाल मामले में अविलंब संज्ञान ले़ं.
अध्यक्ष पीसी मुर्मू ने कहा कि सरकार ने यह नीति नियोजन के लिए बनायी है या शिक्षा के लिए, यह कहीं भी स्पष्ट नहीं है. निर्धारित छह बिंदुओं में से कोई भी एक पूरा करने पर व्यक्ति स्थानीय घोषित हो सकता है, ऐसा देश में कहीं भी नहीं है़ मौके पर सुषमा बिरुली, हिलारियुस टोपनो व अन्य मौजूद थे़

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