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बोकारो रेप कांड: हाइकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा
रांची: बाेकारो के बहुचर्चित गैंगरेप मामले में झारखंड हाइकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है. मामले के सजायाफ्ता सिराजुद्दीन अंसारी व अन्य की अोर से हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर एसएलपी को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद खारिज कर दिया. पर्याप्त साक्ष्य व मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम […]
रांची: बाेकारो के बहुचर्चित गैंगरेप मामले में झारखंड हाइकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है. मामले के सजायाफ्ता सिराजुद्दीन अंसारी व अन्य की अोर से हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर एसएलपी को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद खारिज कर दिया. पर्याप्त साक्ष्य व मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी हाइकोर्ट के फैसले को सही ठहराया.
ज्ञातव्य हो कि चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह की अध्यक्षतावाली खंडपीठ ने 13 जुलाई 2015 को बोकारो की अदालत के फैसले को सही ठहराते हुए 12 अपीलकर्ताअों की आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखी थी. वहीं आजीवन कारावास की सजा काट रहे आठ सजायाफ्ताअों को संदेह का लाभ दिया था. मालूम हो कि बोकारो के प्रथम अपर न्यायायुक्त महेंद्र झा की अदालत ने 21 मई 2004 को 21 आरोपियों को गैंग रेप कांड में दोषी पाकर आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी.
आजीवन कारावास की सजा काट रहे सजायाफ्ता की अपील हुई थी खारिज : सजायाफ्ता युनूस अंसारी, मोमिन अख्तर, बरजू शाह, सयूम अंसारी, प्रमोद पिल्लई, सिराजुद्दीन अंसारी, अनवर अंसारी, फिरोज शाह, हबीब अंसारी, अब्बास अंसारी, मनी स्वामी, मो इसलाम अंसारी की सजा को कोर्ट ने बरकरार रखा था. उनकी अपील खारिज कर दी गयी थी.
पांच लाख का मुआवजा तय किया था कोर्ट ने : झारखंड हाइकोर्ट ने ऐतिहासिक रूप से पहली बार पीड़िता के परिवार के लिए पांच लाख रुपये का मुआवजा तय किया था. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह पीड़िता की मां को पांच लाख रुपये का आर्थिक मुआवजा का अविलंब भुगतान करे. बाद में कोर्ट के आदेश के आलोक में सरकार ने मुआवजा राशि का भुगतान कर दिया.
क्या थी घटना
बोकारो के बीएसएल कॉलोनी में रहनेवाली आइआइटी की तैयारी में लगी 19 वर्षीय युवती को उसके घर से उठा कर भूरा बस्ती के कव्वाली मैदान ले जाया गया, जहां उसके साथ दुष्कर्मियों ने क्रूरता की सारी हदें पार कर दी. अमानवीय व्यवहार किया गया. खुले आसमान के नीचे आरोपियों ने बारी-बारी से अपना मुंह काला किया. लड़की द्वारा पानी मांगे जाने पर उसे नाली का पानी पिलाया. होश आने पर वह बस्ती की अोर दाैड़ पड़ी आैर एक घर में घुस गयी. घर के लोगों ने दरवाजा बंद कर पुलिस को सूचित किया. पुलिस के आने के बाद उसे हॉस्पिटल में भरती कराया गया. घटना के बाद पीड़िता की मानसिक स्थिति ठीक नहीं रही. बाद में उसका निधन हो गया. इसके बाद उसके पिता परिवार के सदस्यों के साथ भिलाई चले गये.
हाइकोर्ट ने की थी पुलिस पर कड़ी टिप्पणी
चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह ने ऐसे मामले को समाज व कानून-व्यवस्था के लिए खतरनाक बताया था. उन्होंने पुलिस की भूमिका पर कठोर टिप्पणी की थी. पुलिस को सबसे खराब आैर गंदा बताया. कोर्ट ने बोकारो की पुलिस को डर्टी पुलिस कहा. अनुसंधान के दाैरान पुलिस आैर अनुसंधान पदाधिकारी ने अपनी भूमिका को सही तरीके से नहीं निभायी. तत्कालीन डीएसपी मो नेहाल पर भी हाइकोर्ट ने टिप्पणी की थी.
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