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कुष्ठ रोगियों ने भीख के पैसों से खोदा तालाब

रांची: इंदिरा नगर, कुष्ठ कॉलोनी जगन्नाथपुर के कुष्ठ रोगियों ने अपनी समस्या का हल खुद निकालने का जिम्मा उठाया है. यहां के लोगों ने भीख में मिले पैसों से तालाब का निर्माण किया है. कॉलोनी का हर परिवार शारीरिक रूप से लाचार है. इसलिए लोग भीख मांग कर जीवन-यापन कर रहे हैं. बस्ती के मुखिया […]

रांची: इंदिरा नगर, कुष्ठ कॉलोनी जगन्नाथपुर के कुष्ठ रोगियों ने अपनी समस्या का हल खुद निकालने का जिम्मा उठाया है. यहां के लोगों ने भीख में मिले पैसों से तालाब का निर्माण किया है. कॉलोनी का हर परिवार शारीरिक रूप से लाचार है. इसलिए लोग भीख मांग कर जीवन-यापन कर रहे हैं.
बस्ती के मुखिया मुरली गोस्वामी कहते हैं कि आठ माह पूर्व रिंग रोड निर्माण के समय पाइप लाइन क्षतिग्रस्त हो गया था. इस कारण बस्ती में पेयजल संकट उत्पन्न हो गया. लोगों को बस एक ही चिंता थी कि पानी की किल्लत को कैसे दूर किया जाये़ इसके बाद हमलोगों ने भीख में मिले पैसों से तालाब बनाने का निर्णय लिया. बस्ती में कुष्ठ रोगियों का 210 परिवार रहता है. बैठक कर तय किया गया कि हर घर से दो-दो सौ रुपये चंदा लिया जायेगा. चंदे में कुल 65 हजार रुपये जमा हुए. अब समस्या थी कि तालाब को कैसे खोदा जाये, क्योंकि अधिकांश लोग अपंग हैं. लोगों ने अपनी क्षमता के अनुसार सुबह व शाम में श्रमदान किया और जेसीबी मशीन से तालाब खोदने का काम शुरू किया गया. अभी तालाब को सात फीट तक गहरा किया गया है. पैसा समाप्त होने के कारण जेसीबी से काम रुक गया है. लोग श्रमदान कर तालाब काे और गहरा कर रहे हैं. श्री गोस्वामी ने कहा कि विधायक नवीन जायसवाल से सहयोग मांगा गया है. उन्होंने आश्वासन दिया है़ रविदास व मोहन गोस्वामी पैर से लाचार हैं. वे कहते हैं कि हर कोई परेशान है. वे परेशानी के बाद भी खुश रहने की कोशिश करते हैं.
बस्ती में 10 चापानल में से छह हैं खराब
सुनील उरांव ने बताया कि बस्ती में पानी की किल्लत है. बस्ती में कुल 10 चापानल है़ं इसमें से छह खराब हैं. सिर्फ चार चापानल से पानी निकलता है. इसी से लोग काम चलाते हैं. पानी के लिए लोगों को दिन भर इधर-उधर भटकना पड़ता है़.
प्याऊ का निर्माण कराया
कुष्ठ रोगियों ने जगन्नाथपुर मुख्य सड़क पर चंदा कर दो वर्ष पूर्व एक प्याऊ का निर्माण कराया था. यहां एक टंकी बनायी गयी, जिसमें पांच नल लगाये गये हैं. बस्ती के हरिपद उरांव कहते हैं कि अगर हम किसी से पैसा मांगते हैं, तो लोग झिड़क देते हैं, लेकिन हम सबके लिए सोचते हैं. इस कारण बस्ती के बाहर सर्वजानिक कार्य के लिए पैसा नहीं मांगते हैं.

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