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शाह ब्रदर्स मामले में जांच कमेटी गठित, मांगी रिपोर्ट

रांची: शाह ब्रदर्स माइंस से संबंधित मामले की जांच को लेकर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कमेटी का गठन किया है. कमेटी में विकास आयुक्त अमित खरे, अपर मुख्य सचिव (उद्योग) यूपी सिंह और मुख्यमंत्री के सचिव सुनील वर्णवाल को शामिल किया गया है. मुख्यमंत्री ने इन्हें मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा […]

रांची: शाह ब्रदर्स माइंस से संबंधित मामले की जांच को लेकर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कमेटी का गठन किया है. कमेटी में विकास आयुक्त अमित खरे, अपर मुख्य सचिव (उद्योग) यूपी सिंह और मुख्यमंत्री के सचिव सुनील वर्णवाल को शामिल किया गया है. मुख्यमंत्री ने इन्हें मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा है.
हाइ पावर कमेटी ने शाह ब्रदर्स पर लगाया था आरोप : गौरतलब है कि शाह ब्रदर्स को वर्ष 1972 में 30 साल के लिए लौह अयस्क और मैंगनीज के खनन के लिए लीज मिला था. लीज की अवधि वर्ष 2002 में समाप्त हो गयी थी. लीज नवीकरण होने के बाद कंपनी को जुलाई 2016 तक खनन करने की अनुमति प्राप्त थी. इसी बीच राज्य सरकार ने एमएमडीआर एक्ट में संशोधन का हवाला देते हुए हाइ पावर कमेटी का गठन किया था. उसकी रिपोर्ट के आधार पर नियमों और शर्तों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए राज्य की 21 खनन कंपनियों का आवंटन रद्द कर दिया था.
हाइ पावर कमेटी ने शाह ब्रदर्स पर आरोप लगाया था कि उसे वन और पर्यावरण विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं है. कंपनी लीज क्षेत्र से बाहर जाकर खनन कर रही है. प्रदूषण विभाग से इसकी सहमति नहीं ली गयी है. सरकार के फैसले के खिलाफ शाह ब्रदर्स हाइकोर्ट गयी थी, जहां से उसे राहत मिल गयी. इधर, दीवान इंद्रनील सिन्हा ने झारखंड हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. इसमें आरोप लगाया है कि हाइकोर्ट में सरकार का पक्ष सही ढंग से नहीं रखे जाने के कारण सरकार को 1244 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
कोर्ट में रखें पूरा तथ्य, तािक राजस्व का नुकसान न हो
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने खनन विभाग के अपर मुख्य सचिव को राज्य के महाधिवक्ता से परामर्श लेकर हाइकोर्ट के समक्ष खनन विभाग से संबंधित दायर वादों में पूरा तथ्य रखने का निर्देश दिया है़ उन्होंने कहा कि न्यायालय में विचाराधीन राज्य सरकार से संबंधित वादों में महाधिवक्ता के साथ समन्वय बना कर हमेशा तथ्यपूर्ण तरीके से सरकार का पक्ष रखें, ताकि किसी भी कीमत पर राज्य के हितों व राजस्व का नुकसान न हो़ मुख्यमंत्री ने पूछा है कि राजस्व उगाही के लिए अब तक क्या कार्रवाई हुई है. और क्या कदम उठाने की आवश्यकता है. श्री दास ने यह निर्देश हाइकोर्ट में विचाराधीन रिट याचिका डब्ल्यूपीसी-2027/16 में 21 अप्रैल को पारित अंतरिम आदेश के संदर्भ में दिया है. इधर, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुमार ने मुख्य सचिव को पत्र लिख कर मुख्यमंत्री द्वारा दिये गये आदेश के आलोक में संबंधित अधिकारियों को निर्देश देने का आग्रह किया है.

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