रांची: झारखंड हाइकोर्ट में शुक्रवार को अपील पर सुनवाई के दाैरान चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह की मध्यस्थता व समझाने के बाद पति बबन सरखेल को पत्नी मिल गयी. आठ साल से मायके में रह रही उसकी पत्नी चीफ जस्टिस व जस्टिस एस चंद्रशेखर की खंडपीठ के समझाने के बाद हाइकोर्ट से सीधे अपने पति के […]
रांची: झारखंड हाइकोर्ट में शुक्रवार को अपील पर सुनवाई के दाैरान चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह की मध्यस्थता व समझाने के बाद पति बबन सरखेल को पत्नी मिल गयी. आठ साल से मायके में रह रही उसकी पत्नी चीफ जस्टिस व जस्टिस एस चंद्रशेखर की खंडपीठ के समझाने के बाद हाइकोर्ट से सीधे अपने पति के साथ ससुराल चली गयी, जबकि उसके पिता अपने घर चले गये. कोर्ट की भावना को समझते हुए पत्नी ने ससुराल जाने की बात स्वीकार कर ली.
खंडपीठ ने झालसा से 5000 रुपये दिलाने की बात कही. इस पर पति बबन सरखेल ने यह कहते हुए पैसा लेने से इनकार कर दिया कि वह पारा शिक्षक है आैर उसे आठ हजार रुपये मानदेय मिलता है. वह अपनी पत्नी को घर ले जाने में सक्षम है. इस दंपती का एक छह साल का बच्चा भी है.
क्या है मामला
बलियापुर थाना, धनबाद निवासी बबन सरखेल की शादी 27 अप्रैल 2008 को हुई थी. पढ़ाई को लेकर पति-पत्नी में विवाद हुआ. बाद में पत्नी ने ससुराल जाने से इनकार कर दिया. उसका कहना था कि वह पढ़ना चाहती है, उसे ससुराल नहीं जाना है. काफी प्रयास के बाद पत्नी मायके से नहीं लाैटी, तो पति बबन ने धनबाद के फैमिली कोर्ट में मामला दायर कर पत्नी दिलाने की गुहार लगायी. फैमिली कोर्ट ने पति के पक्ष में फैसला देते हुए पत्नी को ससुराल जाने का आदेश दिया. पत्नी ने कोर्ट के फैसले को हाइकोर्ट में अपील दायर कर चुनाैती दी.