रांची: लोअर बाजार थाना क्षेत्र के वूल हाउस के निकट 21 अप्रैल को पुलिस के सामने अपराधियों ने मन्नुवरा खातून नामक एक महिला से पर्स सहित एक लाख लूटने की कोशिश की गयी थी. महिला ने रुपये बचाने के लिए पर्स नहीं छोड़ा. इस वजह से अपराधी पर्स सहित उसे घसीटते हुए 50 फीट दूर […]
रांची: लोअर बाजार थाना क्षेत्र के वूल हाउस के निकट 21 अप्रैल को पुलिस के सामने अपराधियों ने मन्नुवरा खातून नामक एक महिला से पर्स सहित एक लाख लूटने की कोशिश की गयी थी. महिला ने रुपये बचाने के लिए पर्स नहीं छोड़ा. इस वजह से अपराधी पर्स सहित उसे घसीटते हुए 50 फीट दूर तक ले गये. घटना में महिला गंभीर रूप से घायल हो गयी.
इसके बावजूद रुपये से भरा पर्स महिला ने नहीं छोड़ा. तब अपराधी पर्स छोड़ कर भाग निकले. अपराधियों का डट कर मुकाबला करने की वजह से पुलिस ने महिला को पांच हजार रुपये देकर सम्मानित भी किया था. बाद में महिला के दामाद अफरोज के बयान पर पुलिस ने अपराधियों के खिलाफ केस भी दर्ज किया. लेकिन घटना में शामिल अपराधियों को पकड़ने के बजाय पुलिस महिला को इनाम देकर और मामले में प्राथमिकी कर दर्ज सुस्त पड़ गयी. अब तक इस मामले में पुलिस कोई नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है.
पुलिस के ढुलमुल रवैये के कारण ही इस मामले में परिजन आरंभ में प्राथमिकी दर्ज कराना नहीं चाहते थे. लेकिन पुलिस ने परिजनों को काफी समझा-बुझा कर प्राथमिकी दर्ज करायी थी. यह आश्वासन देते हुए कि पुलिस जल्द ही घटना में शामिल अपराधियों को गिरफ्तार कर लेगी, लेकिन प्राथमिकी दर्ज करने के बाद पुलिस ने घटना के बारे में जानकारी लेने के लिए अभी तक न महिला और न ही प्राथमिकी दर्ज कराने वाले अफरोज से संपर्क किया. इस वजह से महिला के परिजन भी अब पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाने लगे हैं. अफरोज ने बताया कि प्राथमिकी दर्ज करने कराने के बाद अभी तक पुलिस ने किसी से संपर्क नहीं किया. पुलिस इस मामले में सिर्फ मेरी सास को इनाम देकर सुस्त पड़ गयी.
सीसीटीवी फुटेज में भी कैद हो गयी थी घटना, एक अपराधी का चेहरा भी दिखा था
लूटपाट का प्रयास करनेवाले अपराधियों ने महिला मन्नुवरा खातून को कैसे बेरहम तरीके से घसीटा था, इसका वीडियो फुटेज भी पुलिस ने सीसीटीवी से हासिल किया था. सीसीटीवी में बाइक चला रहा एक अपराधी हेलमेट पहना हुआ है, जबकि दूसरे का चेहरे खुला था. सीसीटीवी फुटेज के आधार पर ही पुलिस घटना में शामिल अपराधियों का सुराग नहीं लगा सकी. ऐसे में यह भी सवाल उठने लगा है कि जब सीसीटीवी फुटेज से भी अपराधियों की पहचान नहीं हो पायेगी, तब शहर के चौक-चौराहों में सीसीटीवी लगाने का क्या फायदा. क्या सीसीटीवी में चेहरा स्पष्ट आने पर ही पुलिस किसी अपराधी के बारे में जानकारी एकत्र कर पायेगी. पुलिस का खुद का सूचना तंत्र होना चाहिए. क्या पुलिस का सूचना तंत्र विफल हो गया है. सिर्फ छिनतई या दूसरी तरह की घटना पर नियंत्रण के लिए 50 टाइगर मोबाइल के जवान, पीसीआर और दूसरे जवान तैनात हैं. इसके बावजूद पुलिस अपराधियों के बारे में क्यों पता नहीं लगा पा रही है.
डोरंडा में जिस बोलेरो से हुई थी एक की मौत उसका भी अब तक पता नहीं लगा सकी पुलिस
डोरंडा क्षेत्र के हिनू के समीप एक अप्रैल को पुलिस का नंबर प्लेट लगी बोलेरो की चपेट में आने से हुंडरू निवासी राजेश कुमार की मौत हो गयी थी. घटना के बाद लोगों ने बोलेरो को जब्त करने और चालक के खिलाफ कार्रवाई को लेकर बिरसा चौक जाम किया था. तब पुलिस ने बोलेरो और उसके चालक के बारे में पता लगाने का आश्वासन दिया था. लेकिन पुलिस बोलेरो और उसके चालक के बारे में पता नहीं लगा सकी.
कडरू एजी कॉलोनी से एसपी की बोलेरो गाड़ी हो गयी थी चाेरी, गाड़ी का अब तक पता नहीं
14 अप्रैल की रात अरगोड़ा थाना क्षेत्र के कडरू एजी कॉलोनी से स्पेशल ब्रांच के एसपी अश्विनी कुमार सिन्हा की सरकारी बोलेरो चोरी हो गयी. घटना को लेकर उनके चालक ने दूसरे दिन थाने में प्राथमिकी भी दर्ज करायी. इसके बावजूद पुलिस चोरों को नहीं खोज सकी. ऐसे में यह सवाल उठने लगा है कि जब एसपी की बोलेरो चोरी हो जा रही है, तो फिर आम जनता का क्या होगा.