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आइएएस को-अॉपरेटिव सोसाइटी को हाइकोर्ट से मिली बड़ी राहत
रांची : सिविल सर्विसेज को-अॉपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी (आइएएस सोसाइटी) को झारखंड हाइकोर्ट से बड़ी राहत मिल गयी है. अब इसके सदस्य अपने प्लॉट की रजिस्ट्री करा सकेंगे. हाइकोर्ट ने बुधवार को जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पूर्व में सोसाइटी की कांके अंचल के सांगा माैजा में अवस्थित जमीन की रजिस्ट्री पर लगायी गयी रोक […]
रांची : सिविल सर्विसेज को-अॉपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी (आइएएस सोसाइटी) को झारखंड हाइकोर्ट से बड़ी राहत मिल गयी है. अब इसके सदस्य अपने प्लॉट की रजिस्ट्री करा सकेंगे. हाइकोर्ट ने बुधवार को जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पूर्व में सोसाइटी की कांके अंचल के सांगा माैजा में अवस्थित जमीन की रजिस्ट्री पर लगायी गयी रोक को हटा लिया. कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत आवास नीति को देखते हुए याचिका को भी निष्पादित कर दिया.
मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस एस चंद्रशेखर की खंडपीठ में हुई. खंडपीठ ने आवास नीति में दी गयी प्राथमिकता पर माैखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि आइएएस खुद नीति बनाते है आैर खुद को प्राथमिकता में सबसे ऊपर रखते है. क्या डिफेंस से भी आइएएस अधिकारी ऊपर है, जो देश की रक्षा में दिन-रात जुटे रहते हैं. खंडपीठ ने राज्य सरकार से कहा कि वह अधिवक्ताअों आैर अन्य संस्थाअों की भूखंड की मांग पर त्वरित कार्रवाई करे, ताकि उनके सदस्यों की आवास की जरूरतें पूरी हो सके.
इससे पूर्व राज्य सरकार की अोर से आवास नीति प्रस्तुत की गयी. बताया गया कि सभी को आवास देंगे. आवास नीति बना ली गयी है. आइएएस, ज्यूडिशियरी, एमएलए-एमपी, डिफेंस, राज्य सरकार के अधिकारी व अन्य को प्राथमिकता दी गयी है. प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने पक्ष रखा.
उल्लेखनीय है कि प्रार्थी विशाल कुमार ने जनहित याचिका दायर कर सिविल सर्विसेज को-अॉपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी (आइएएस सोसाइटी) को कांके के सांगा माैजा में कम दर पर 74 एकड़ से अधिक जमीन देने को चुनाैती दी थी. कहा गया था कि इससे सरकार को राजस्व की बड़ी क्षति हुई है.
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