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राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था फेल, इस्तीफा दें सीएम : मरांडी

रांची: झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने कहा कि रघुवर दास के नेतृत्व में यहां भाजपा के सत्तारूढ़ होने के बाद से राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने की छोटी-बड़ी 60 से भी ज्यादा घटनाएं हुई हैं. सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़नेवाले अपराधी बेलगाम हो गये हैं. अगर मुख्यमंत्री से शासन व्यवस्था नहीं संभल रही है, तो उन्हें इस्तीफा […]

रांची: झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने कहा कि रघुवर दास के नेतृत्व में यहां भाजपा के सत्तारूढ़ होने के बाद से राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने की छोटी-बड़ी 60 से भी ज्यादा घटनाएं हुई हैं. सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़नेवाले अपराधी बेलगाम हो गये हैं. अगर मुख्यमंत्री से शासन व्यवस्था नहीं संभल रही है, तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए.

श्री मरांडी ने कहा कि राज्य में कुशासन का इससे बड़ा नमूना और क्या हो सकता है कि लातेहार में सांप्रदायिक ताकतों ने एक 13 वर्षीय बालक समेत दो लोगों को फांसी पर लटका दिया. वहीं सरकार इस मामले की लीपापोती में लगी हुई है. श्री मरांडी रविवार को झाविमो कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि राज्य में भाजपा सरकार बनने के बाद से एक भी पर्व-त्योहार ऐसा नहीं गुजरा, जिसमें सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने वाले असामाजिक तत्वों ने माहौल खराब करने का काम नहीं किया हो. एक तरफ सरकार कानून व्यवस्था दुरुस्त करने की घोषणाएं कर रही है, दूसरी तरफ धार्मिक अवसर पर लगातार सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की घटनाएं हो रही हैं.
यह दर्शाता है कि राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था फेल हो गयी है.बोकारो पर विशेष नजर रखने की हिदायत के बाद भी आलम यह है कि सांप्रदायिक वारदात के बाद कई थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लगाना पड़ा. हजारीबाग में एक की जान चली गयी.
झारखंड में लागू हो 73 फीसदी आरक्षण : बाबूलाल
श्री मरांडी ने कहा कि झारखंड में स्थानीय नीति के साथ-साथ नियोजन नीति को भी लागू किया जाना चाहिए. संविधान के अनुच्छेद 16 (3) के प्रावधानों के तहत राज्य सरकार को प्रस्ताव लाकर केंद्र सरकार को भेजना चाहिए. अगले 20 वर्षों तक पदों को आरक्षित कर हम यहां के आदिवासी और मूलवासियों को लाभ दे सकते हैं. रघुवर सरकार को राज्य में 73 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था भी लागू करनी चाहिए. ऐसा कर हम यहां के स्थानीय लोगों को न्याय दिला सकते हैं. वर्ष 2001 में इसको लेकर प्रयास किया गया था. इसके खिलाफ हाइकोर्ट में याचिका दायर हुई. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि तमिलनाडु के 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण देने का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है. सरकार चाहे तो 73 प्रतिशत आरक्षण देकर तदर्थ नियुक्ति कर सकती है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले से यह नियुक्ति प्रभावित होगी. इसके बाद से कभी कोई प्रयास नहीं किया गया. आजसू पार्टी भी 73 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग कर रही है. अगर हम दूसरे राज्यों को देखें, तो भाजपा शासित प्रदेश राजस्थान व हरियाणा में 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण की व्यवस्था है. वहीं कर्नाटक समेत कई राज्यों में भी 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण लागू है.
झाविमो का महाधिवेशन आठ को नीतीश कुमार होंगे मुख्य अतिथि
रांची. झाविमो के कार्यकर्ता-नेता महाधिवेशन की तैयारी में जुटे है़ं पार्टी का महाधिवेशन आठ मई को राजधानी में होगा़ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पार्टी के महाधिवेशन में मुख्य अतिथि होंगे़ मंगलवार को महाधिवेशन की तैयारी को लेकर पार्टी पदाधिकारियों की बैठक बुलायी गयी है़ इसमें पार्टी नेता महाधिवेशन की तैयारी और सांगठनिक गतिविधियों से संबंधित जानकारी लेंगे़ जिला स्तर पर चल रही तैयारी की समीक्षा होगी़ महाधिवेशन को लेकर नेताओं को जिम्मेवारियां सौंपी जायेगी़ इधर, पार्टी ने जमीनी स्तर पर संगठन को दुरुस्त करने की पहल की है़ अप्रैल माह तक सदस्यता अभियान पूरा करने को कहा गया है़ मई के पहले सप्ताह मेें जिला कमेटी का गठन किया जायेगा़ झाविमो विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने कहा कि फिलहाल पूरा संगठन महाधिवेशन की तैयारी में लगा है़ महाधिवेशन से पूर्व सांगठनिक औपचारिकता पूरी की जा रही है़ उन्होंने बताया के इस बार महाधिवेशन में बिहार के मुख्यमंत्री को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है़ बदलते राजनीति हालात पर भी पार्टी चर्चा करेगी़ आने वाले दिनों में पार्टी के स्वरूप में बदलाव दिखेगा़ सांप्रदायिक ताकतों की गाेलबंदी के लिए पार्टी नयी भूमिका में आयेगी़ आने वाले समय में समान विचारधारा के कई दल एक मंच पर आ रहे है़ं महाधिवेशन में इन सारे पहलुओं पर भी चर्चा होगी़ श्री यादव ने कहा कि महाधिवेशन क माध्यम से पार्टी आंदोलन की रूपरेखा भी बनायेगी़ केंद्र व राज्य सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ सदन से सड़क तक के आंदोलन को लेकर मंथन होगा़.
शराबबंदी के पक्ष में है झाविमो : श्री मरांडी ने कहा कि बिहार में पूर्णत: शराबबंदी का फैसला स्वागत योग्य है. झाविमो शराबंदी के पक्ष में है. अगर झारखंड सरकार शराबबंदी का फैसला लेती है, तो पार्टी इसका स्वागत करेगी. एक सवाल के जवाब में श्री मरांडी ने कहा कि वे बैकडोर की पॉलिटिक्स नहीं करते हैं. देश में नया विकल्प बनाने का प्रयास किया जा रहा है. देश में लगातार संघीय ढांचे पर हमला हो रहा है. भाजपा ने इसकी शुरुआत झारखंड से की. चुनाव के बाद झाविमो के छह विधायकों को तोड़ कर पार्टी में शामिल करा लिया.

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