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न खतरे का आकलन और न संवेदनशील स्थानों पर सतर्कता

केरेडारी व माराफारी की घटना प्रशासनिक तैयारी की कमी का परिणाम तो नहीं? खुफिया विभाग ने नहीं किया सही आकलन, अफसरों की तैनाती में भी हुई चूक रांची : रामनवमी में सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर मुख्य सचिव और डीजीपी तक ने जिलों के डीसी-एसपी के साथ बैठक की. फिर भी पुलिस-प्रशासन के अधिकारी न तो खतरे […]

केरेडारी व माराफारी की घटना प्रशासनिक तैयारी की कमी का परिणाम तो नहीं?
खुफिया विभाग ने नहीं किया सही आकलन, अफसरों की तैनाती में भी हुई चूक
रांची : रामनवमी में सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर मुख्य सचिव और डीजीपी तक ने जिलों के डीसी-एसपी के साथ बैठक की. फिर भी पुलिस-प्रशासन के अधिकारी न तो खतरे का आकलन कर सके और न ही संवेदनशील स्थानों पर पुलिस फोर्स ने सतर्कता बरती. परिणामस्वरूप केरेडारी व माराफारी में घटनाएं हुईं.
पुलिस-प्रशासन के वरिष्ठ अफसर मानते हैं कि अगर खुफिया विभाग ने सही-सही आकलन किया होता और सतर्कता बरती जाती, तो केरेडारी व माराफारी में घटनाएं नहीं होतीं. अफसरों के अनुसार 15 अप्रैल को हजारीबाग के केरेडारी और बोकारो के माराफारी की घटना के बाद राज्य के पुलिस-प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया.
आनन-फानन में अफसरों को इधर से उधर भेजने का आदेश जारी किया जाने लगा. हजारीबाग के डीआइजी उपेंद्र प्रसाद को पहले ही हजारीबाग से हटा कर गिरिडीह कैंप करने के लिए आदेश दिया गया था. बोकारो में दंगा होने पर जैप के डीआइजी सुधीर कुमार झा को बोकारो भेजना पड़ा.
बोकारो डीआइजी का पद पिछले दो माह से रिक्त है. हजारीबाग के डीआइजी को इस पद का प्रभार दिया गया है. इस बात का ध्यान रखे बिना मुख्यालय ने हजारीबाग के डीआइजी को गिरिडीह में कैंप करने का आदेश जारी कर दिया. बाद में उन्हें बोकारो पहुंचने का आदेश दिया गया.
बोकारो में हालात ऐसे बन गये थे कि एक बार पुलिस को ही वहां से भागना पड़ गया. केरेडारी की घटना को बाद हजारीबाग के एसपी शहर में तैनात फोर्स को लेकर केरेडारी के लिए रवाना हो गये थे. पंच मंदिर चौक के पास फोर्स की संख्या कम हो गयी, जिस कारण वहां हालात खराब होने लगी थी. शहर के प्रबुद्ध लोगों के सक्रिय होने पर स्थिति को सामान्य किया जा सका.
सीनियर को किया तैनात, जूनियर ने नहीं दिया तरजीह : रामनवमी के मद्देनजर पुलिस मुख्यालय ने एसपी रैंक के छह अफसरों को विभिन्न जिलों में प्रतिनियुक्त किया, लेकिन स्थानीय पुलिस के द्वारा सहयोग नहीं मिलने के कारण ये अधिकारी कुछ नहीं कर सके. सीआइडी के एसपी शैलेंद्र कुमार सिन्हा को चक्रधरपुर में कैंप करने के लिए कहा गया, पर वहां की पुलिस ने उनसे काम ही नहीं लिया. इंस्पेक्टर-थानेदार तक से एसपी की भेंट मुश्किल से हुई.
इंस्पेक्टर व थानेदार सीधे चाईबासा एसपी को रिपोर्ट कर रहे थे. जूनियर अफसरों द्वारा बात नहीं सुनने व तरजीह नहीं देने से सिस्टम प्रभावित होता रहा. जैप-आठ के कमांडेंट मदन मोहन लाल को चतरा भेजा गया. उन्हें चतरा में फोर्स तक नहीं मिला. श्री लाल को लेस्लीगंज स्थित जैप मुख्यालय से फोर्स मंगवानी पड़ी. इसी तरह निगरानी के एसपी आलोक को चतरा और जैप से मो नौशाद को बोकारो जिला में प्रतिनियुक्त किया गया.

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