जांच पूरी करने के लिए योजनाओं को डिवीजनवार बांटा गया है. इसके लिए प्रत्येक डिवीजन में टीम का गठन किया जाना है, लेकिन इसके लिए एसीबी के पास संसाधन नहीं है. उल्लेखनीय है कि सरकार ने एसीबी को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत पिछले तीन वित्तीय वर्षों में हुई करोड़ों की गड़बड़ी की जिम्मेवारी सौंपी है. जांच के लिए पिछले तीन वित्तीय वर्ष की 230 योजनाओं का चयन किया गया है. वर्तमान में एसीबी में दर्ज किसी मामले की जांच डीएसपी या इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस पदाधिकारी करते हैं. वर्तमान में एसीबी में इंस्पेक्टर रैंक के 46 व डीएसपी रैंक के 16 पुलिस अफसरों की कमी है.
वर्तमान में इंस्पेक्टर व डीएसपी रैंक के जो पुलिस पदाधिकारी हैं, उनमें से अधिकांश प्रमंडलीय कार्यालय में पदस्थापित हैं. एसीबी के पास पहले से कई महत्वपूर्ण केस व प्रारंभिक जांच अफसरों की कमी के कारण लंबित हैं. वहीं वाहनों की भी सुविधा नहीं है. संसाधन व मैनपावर की कमी के कारण अब यह सवाल उठने लगा कि एसीबी के अधिकारी इस जांच को कैसे पूरा करेंगे.