रांची: बुढ़मू प्रखंड में महज चार वर्षों के भीतर ही श्री विधि से धान लगानेवाले किसानों की संख्या में दस गुणा इजाफा हुआ है. वर्ष 2009 में पहली बार यहां के 50 किसान गैर सरकारी संस्था कृषि ग्राम विकास केंद्र (केजीवीके) रूक्का की पहल से श्री विधि तकनीक से धान की खेती की.
किसानों को इस तकनीक पर कतई विश्वास न था, लेकिन इस तकनीक की सफलता देख कर उनका आत्मविश्वास बढ़ा. फलस्वरूप वर्ष 2013 में यहां श्री विधि से धान लगानेवाले किसानों की संख्या 501 तक पहुंच गयी. केजीवीके के सुरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि इस वर्ष बु़ढ़मू, मुरवे, अड़रा, ब़ेड़वारी, गुड़गांई, बंसरी, सिदरौल, नाउज, ड़ड़िया समेत 10 गांव के 58 एकड़ खेत में श्री विधि तकनीक से धान की खेती की गयी. मानसून देर से आने की वजह से कम किसान इस विधि को अपना सके. 2014 में और अधिक किसानों तक इस तकनीक को ले जाने की योजना है.
सिर्फ पांच डिसमिल में तीन क्विंटल धान का उत्पादन: बुढ़मू के ठाकुरगांव स्थित बड़काटोली निवासी बिरसा मुंडा की पत्नी पुष्पा देवी ने बताया कि उन्होंने पहली बार श्री विधि तकनीक से धान की खेती की. इस तकनीक में विश्वास न था, इसलिए मात्र पांच-छह डिसमिल की एक खेत में श्री विधि तकनीक से धान लगाया.
इस छोटे से टुकड़े में लगभग तीन क्विंटल धान की खेती हुई, जिससे उनके चार सदस्यीय परिवार के लिए तीन महीने के खाद्यान्न की व्यवस्था हो गयी है. किसान बलदेव मुंडा व सरस्वती देवी ने कहा कि यह तकनीक छोटे किसानों, जिनके पास खेती लायक जमीन की कमी है, के लिए वरदान है. क्योंकि कम क्षेत्र में इस तकनीक से दोगुणा से भी ज्यादा उपज मिलती है.
श्री विधि तकनीक का उपयोग: केजीवीके की पहल से ब़ुढ़मू के किसानों ने सरसों व गेंहू के उत्पादन में श्री विधि तकनीक का इस्तेमाल किया है. केजीवीके के सुरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि केजीवीके बुढ़मू के 10 गांवों के संपूर्ण विकास की दिशा में कई कार्य कर रहा है. खेती को बढ़ावा देना इन्हीं कार्यों का एक हिस्सा है. गेंहू व सरसों की खेती में श्री विधि तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए 186 किसानों की 10-10 डिसमिल खेत में गेंहू व 109 किसानों की 10-10 डिसमिल जमीन में सरसों की खेती का प्रत्यक्षण किया गया है. यहां के किसानों को प्याज, टमाटर व बैगन की उन्नत खेती करने के लिए उन्हें केजीवीके की ओर से बीज व तकनीकी की जानकारी भी मुहैया करायी गयी है.