रांची: राज्य में डिप्लोमा स्तरीय तकनीकी शिक्षा को गति प्रदान करने के लिए गठित स्टेट बोर्ड ऑफ टेक्निकल एजुकेशन (एसबीटीइ) में कनीय अधिकारी को सचिव बनाये जाने का मामला अब गंभीर होता जा रहा है. एसबीटीइ के सचिव के पद पर आरके साहा प्रतिनियुक्त हैं. तत्कालीन मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी के कार्यकाल में इनकी पदस्थापना की गयी थी. एसबीटीइ के पदेन अध्यक्ष विज्ञान प्रावैधिकी विभाग के मंत्री होते हैं, जबकि उपाध्यक्ष विभागीय सचिव होते हैं. बोर्ड में सबसे महत्वपूर्ण पद सचिव का होता है.
विभागीय सूत्रों का कहना है कि श्री साहा से कई और वरीय पदाधिकारी हैं, पर उनकी वरीयता को नजरअंदाज करते हुए कनीय अधिकारी को सचिव बनाया गया है. विभाग की वरीयता सूची में खनन संस्थान विभाग के प्रभारी प्राचार्य विनोद कुमार सिन्हा और राजकीय पॉलिटेक्निक दुमका के प्रभारी प्राचार्य केके साहू एसबीटीइ सचिव श्री साहा से सीनियर हैं. इस पर पर किसी नियमित प्राचार्य अथवा वरीय प्राध्यापक का पदस्थापन किये जाने का प्रावधान है. विज्ञान प्रावैधिकी विभाग की ओर से इस नियम की अनदेखी किये जाने से पॉलिटेक्निक संस्थानों में पदस्थापित वरीय प्रभारी प्राचार्यो में काफी रोष भी है.
महत्वपूर्ण है एसबीटीइ के सचिव का पद
राज्य के सभी पॉलिटेक्निक संस्थानों के शैक्षणिक सत्र को नियमित रखने की दृष्टि से सचिव का पद महत्वपूर्ण है. सचिव पद पर रहनेवाले व्यक्ति की जिम्मेवारी है कि वह 2009-10 से लागू सेमेस्टर स्तर की परीक्षाएं नियमित ले और तदनुरूप परीक्षाफल की घोषणा भी करे. सभी परीक्षा प्रणाली को कंडक्ट करना इनकी जिम्मेवारी है. इतना ही नहीं पॉलिटेक्निक संस्थानों के बजट संबंधी प्रस्तावों पर भी इनके सुझाव सरकार के स्तर पर लिये जाते हैं. शैक्षणिक और वित्तीय प्रबंधन पर भी इनका योगदान लिया जाता है.
राष्ट्रपति शासन के दौरान ट्रांसफर का आदेश
राज्य में लगे राष्ट्रपति शासन के दौरान विज्ञान प्रावैधिकी विभाग के परामर्शी ने एक ही प्रमंडल और जिले में पदस्थापित प्राध्यापकों और प्राचार्यो के तबादले का निर्देश दिया था. इनमें आरके साहा भी शामिल हैं, जो 2009 से ही रांची में हैं. पहले ये विज्ञान प्रावैधिकी विभाग में उप निदेशक थे. ये राजकीय महिला पॉलिटेक्निक रांची में लेरर भी हैं. इन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिग्री ली है. पर राजकीय महिला पॉलिटेक्निक, रांची जहां इनकी नियमित पदस्थापना है, वहां इलेक्ट्रिकल विभाग ही नहीं है.