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1996 में नक्सली हमले में मारे गये थे रामदेव, परिजन को 20 वर्षों के बाद भी नहीं मिली नौकरी

रांची : नक्सली हमले में मारे गये गिरिडीह निवासी रामदेव यादव उर्फ खोसी यादव के परिजन को 20 वर्षों के बाद भी नौकरी नहीं मिली है़ खोसी यादव की हत्या 30 अप्रैल 1996 में नक्सलियों ने कर दी थी़ उसी साल नौकरी की अनुसंशा की गयी थी़. नौकरी की अनुंसशा के बाद भी नौकरी नहीं […]

रांची : नक्सली हमले में मारे गये गिरिडीह निवासी रामदेव यादव उर्फ खोसी यादव के परिजन को 20 वर्षों के बाद भी नौकरी नहीं मिली है़ खोसी यादव की हत्या 30 अप्रैल 1996 में नक्सलियों ने कर दी थी़ उसी साल नौकरी की अनुसंशा की गयी थी़.

नौकरी की अनुंसशा के बाद भी नौकरी नहीं मिलने पर मृतक का पुत्र भोला कुमार यादव राज्यपाल, मुख्यमंत्री, अपने क्षेत्र के सांसद, विधायक और कई वरीय अधिकारी को आवेदन देकर गुहार लगायी है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई़
प्रधानमंत्री को लिखा पत्र, फिर से हुई थी जांच
किसी तरह की सुनवाई नहीं होने पर मृतक के परिजनों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था़ पीएमओ के कहने पर गिरिडीह डीसी व एसपी ने घटना की पुन: जांच की थी और मामले को सत्य पाया था़ गिरिडीह के तत्कालीन डीसी ने मृतक की पत्नी द्रौपदी देवी को चतुर्थवर्गीय पद पर नौकरी की अनुसंशा भी कर दी गयी थी और फाइल आगे बढ़ाने का अादेश दिया था़ .

उसके बावजूद अभी तक मृतक की पत्नी अथवा पुत्र काे नौकरी नहीं मिली है़ खोसी यादव गिरिडीह जिला के मुफ्फसिल थाना क्षेत्र के गादी गांव के निवासी थे़ गौरतलब है कि कोडरमा ससंदीय क्षेत्र में नक्सलियों ने 30 अप्रैल 1996 को भाजपा प्रत्याशी रीतलाल प्रसाद वर्मा के प्रचार वाहन को जला दिया था और स्थानीय लोगों को घेर कर अंधाधुंध गोली चलायी थी़ उसी दौरान खोसी यादव को नक्सली की गोली लगी थी और उनकी मौत हो गयी थी़

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