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स्थानीय नीति पर मूकदर्शक नहीं रहेगी आजसू

रांची: अाजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने कहा कि स्थानीयता, नियोजन नीति और आरक्षण राज्य के लिए अहम विषय है. इन मुद्दों पर पार्टी मूकदर्शक बन कर नहीं रह सकती है. पार्टी जनता के बीच जायेगी. झारखंड के लोगों को हक दिलाने को लिए आंदोलन किया जायेगा. श्री महतो बुधवार को मोरहाबादी मैदान स्थित महात्मा गांधी […]

रांची: अाजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने कहा कि स्थानीयता, नियोजन नीति और आरक्षण राज्य के लिए अहम विषय है. इन मुद्दों पर पार्टी मूकदर्शक बन कर नहीं रह सकती है. पार्टी जनता के बीच जायेगी. झारखंड के लोगों को हक दिलाने को लिए आंदोलन किया जायेगा. श्री महतो बुधवार को मोरहाबादी मैदान स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा के समझ पार्टी की ओर से आयोजित उपवास कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि झारखंड स्वाभाविक राज्य नहीं है. सैकड़ों साल की लंबी लड़ाई का परिणाम है. यहां की संस्कृति की रक्षा को लेकर आंदोलन होता रहा है. ब्रिटिश काल में भी झारखंडियों के हितों की रक्षा के लिए सीएनटी, एसपीटी कानून बनाया गया.
विधायक रामचंद्र सहिस ने कहा कि एक नेता कह रहे हैं कि 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण नहीं मिलेगा. आजसू पार्टी 73 प्रतिशत आरक्षण की पक्षधर है. जनता तय करेगी कि यहां के एससी, एसटी और ओबीसी को कितना आरक्षण मिलना चाहिए. पार्टी झारखंडी भावना के साथ खिलवाड़ नहीं होने देगी. आजसू सरकार गिराने नहीं, जनता के हित की राजनीति कर रही है.
राज किशोर महतो ने कहा कि यह दुखद: है कि राज्य गठन के 16 साल बाद भी पलायन हो रहा है. एक तरफ यहां के लोग रोजी, रोजगार के लिए दूसरे राज्य जा रहे हैं. वहीं दूसरे राज्यों के लोग यहां आकर राज कर रहे हैं. हमें शोषण मुक्त झारखंड बनाना है. उन्हाेंने कहा : सुदेश महताे के तेवर विनाेद बिहारी महताे जैसे हैं.
झारखंडी भावना से खिलवाड़ बरदाश्त नहीं : चंद्र प्रकाश
पेयजल स्वच्छता मंत्री चंद्र प्रकाश चौधरी ने कहा कि जिस मकसद से झारखंड बना, वह अभी पूरा नहीं हो पाया है. राज्य में एसटी, एससी और ओबीसी को 73 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए. झारखंडियों के अस्तित्व को बचाने के लिए यह जरूरी है. झारखंडियों की भावना के साथ खिलवाड़ को पार्टी बरदाश्त नहीं करेगी. कुछ दिनों से जेपीएससी और स्थानीयता के मुद्दों को लेकर विपक्ष की ओर से विधानसभा में हंगामा किया जा रहा है. इन्हें बताना चाहिए की जब वे मुख्यमंत्री थे, तो इस पर निर्णय क्यों नहीं लिया. हेमंत सोरेन ने स्थानीय नीति को लेकर ही अर्जुन मुंडा सरकार से समर्थन वापस लिया था. सत्ता में आने के बाद वे इस मुद्दे को भूल गये. हम सत्ता में रह कर सरकार को याद दिला रहे हैं.

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