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गांवों में सुविधाएं दें, तभी शहर का बोझ कम होगा
कृषि उत्पादों का कोई विकल्प नहीं: अशाेक भगत रांची : देश की अर्थव्यवस्था गांवों पर ही निर्भर है. गांव स्वावलंबन होगा, तभी देश आगे बढ़ेगा.कृषि उत्पादों का कोई विकल्प नहीं है. गांवों में सुविधाएं होंगी, तभी शहर में बोझ कम होगा. उक्त बातें विकास भारती बिशुनपुर के सचिव पद्मश्री अशोक भगत ने प्रभात खबर से […]
कृषि उत्पादों का कोई विकल्प नहीं: अशाेक भगत
रांची : देश की अर्थव्यवस्था गांवों पर ही निर्भर है. गांव स्वावलंबन होगा, तभी देश आगे बढ़ेगा.कृषि उत्पादों का कोई विकल्प नहीं है. गांवों में सुविधाएं होंगी, तभी शहर में बोझ कम होगा. उक्त बातें विकास भारती बिशुनपुर के सचिव पद्मश्री अशोक भगत ने प्रभात खबर से विशेष बातचीत में कही़
उन्होंने कहा कि देश में पहली बार ऐसा बजट आया है, जिसमें कृषि को प्राथमिकता दी गयी है. इस बजट में सरकार की दूरदर्शिता नजर आ रही है. झारखंड सरकार ने भी कृषि पर ध्यान दिया है. विकास पर भी जोर है, लेकिन यहां सबसे बड़ी चिंता पानी की है. सिंचाई के लिए परंपरागत स्रोतों को कैसे विकसित किया जाये, इस पर सरकार को सोचने की जरूरत है. पंचायतों को सुदृढ़ और पादर्शी बनाया जाये. समेकित विकास की योजनाएं गांवों में ही बने.
युवाओं व महिलाओं को प्रशिक्षण देने की जरूरत : श्री भगत ने कहा कि पंचायतों को सशक्त बनाने के लिए युवाओं व महिलाओं को प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की जाये. जितने भी स्वयं सहायता समूह हैं, उनके लिए कुशल प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाये. तभी योजनाओं का सही कार्यान्वयन हो पायेगा.
बिचौलिया परंपरा खत्म हो : श्री भगत ने कहा कि कृषकों को अगर सीधा बाजार मिलेगा, तो बिचौलिया परंपरा खत्म हो जायेगी. व्यवस्था ऐसी हो, जिससे उत्पादों को प्रोसेसिंग कर तैयार माल को एक बाजार मिल जाये. सभी पंचायतों में अन्न भंडारण की व्यवस्था हो. इससे सत्ता का विकेंद्रीकरण भी होगा.
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