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पांच घंटे घूमता रहा, नहीं हुआ काम

अव्यवस्था : 50 वर्षीय सलामत को गोद में लेकर इस टेबल से उस टेबल करता रहा जमशेद रांची : समाहरणालय में एक अदद जानकारी के लिए आपको काफी मशक्कत करनी पड़ सकती है और अगर आप गांव से आये हैं तो फिर भगवान ही मालिक. इसका उदाहरण बुधवार को देखने को मिला. मांडर के बुरकुडी […]

अव्यवस्था : 50 वर्षीय सलामत को गोद में लेकर इस टेबल से उस टेबल करता रहा जमशेद
रांची : समाहरणालय में एक अदद जानकारी के लिए आपको काफी मशक्कत करनी पड़ सकती है और अगर आप गांव से आये हैं तो फिर भगवान ही मालिक. इसका उदाहरण बुधवार को देखने को मिला. मांडर के बुरकुडी गांव से आये 50 वर्षीय सलामत के पास न तो लाल कार्ड है और न ही उसे अंत्योदय का लाभ मिलता है. उसे देखने वाला भी कोई नहीं है. वह पांव से लाचार है, चल नहीं सकता है.
उसके दोनों पांव खराब हैं. उसके गांव का ही एक लड़का जमशेद उसे गोद में लेकर समाहरणालय पहुंचा. सलामत के हाथ में आवेदन भी था. उसे केवल जानकारी लेनी थी कि लाल कार्ड के लिए आवेदन कहां जमा होता है.
इसके लिए आवेदन कैसे देना होता है. बस, इतनी सी जानकारी लेने के लिए समाहरणालय ब्लॉक ए में कार्यालय-कार्यालय घूमता रहा लेकिन, बाबूओं ने उसे एक अदद जानकारी तक देना भी मुनासिब नहीं समझा.
जमशेद ने थक-हार कर सलामत को सीढ़ी के पास बिठाया और खुद भी वहीं बैठ गया. जब उनसे पूछा गया तो उसने कहा कि कैसे लोग हैं यहां, एक जानकारी तक नहीं देते हैं. सर! 60 किमी दूर से यहां आये हैं. इतना कहकर कुछ देर तक दोनों सीढ़ी के पास बैठे रहे. इसके बाद जमशेद ने सलामत को गोद में उठाया और बाहर की ओर निकल गया.

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