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दुमका: स्टेडियम निर्माण में ठेकेदार को पहुंचाया लाभ

रांची: दुमका जिला स्टेडियम निर्माण में इंजीनियरों द्वारा ठेकेदार को अनुचित लाभ पहुंचाने का मामला प्रकाश में आया है. प्रधान महालेखाकार(पीएजी) ने निर्माण की जांच के बाद इससे संबंधित रिपोर्ट सरकार को भेजी है. स्टेडियम के पास कब्रिस्तान की वजह से पीएजी ने निर्माण पर खर्च किये गये 3.77 करोड़ रुपये का बेकार होने की […]

रांची: दुमका जिला स्टेडियम निर्माण में इंजीनियरों द्वारा ठेकेदार को अनुचित लाभ पहुंचाने का मामला प्रकाश में आया है. प्रधान महालेखाकार(पीएजी) ने निर्माण की जांच के बाद इससे संबंधित रिपोर्ट सरकार को भेजी है. स्टेडियम के पास कब्रिस्तान की वजह से पीएजी ने निर्माण पर खर्च किये गये 3.77 करोड़ रुपये का बेकार होने की आ‌शंका जतायी थी. इसके बाद प्रशासनिक स्तर पर प्रयास कर कब्रिस्तान को दूसरी जगह स्थानांतरित किया गया.

पीएजी की रिपोर्ट में कहा गया था कि जिस जमीन पर स्टेडियम निर्माण कराया जा रहा है, उसके एक हिस्से पर संजय सोरेन का पारिवारिक कब्रिस्तान है. इसकी वजह से निर्माण कार्य बंद है. इससे स्टेडियम पर अब तक किये गये 3.77 करोड़ रुपये का खर्च बेकार हो जायेगा. पीएजी ने जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई पूरी किये बिना ही निर्माण कराये जाने को नियम विरुद्ध करार दिया था. आपत्ति के बाद कब्रिस्तान को करीब एक सप्ताह पहले स्तानांतरित कर दिया गया.

पीएजी की रिपोर्ट में स्टेडियम निर्माण में अवैध चिप्स अादि के इस्तेमाल की आशंका जतायी गयी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ठेकेदारों पर वैध स्रोतों से निकाले गये खनिज खरीदने की बाध्यता है. इसके लिए ठेकेदार द्वारा प्रपत्र ‘ओ’ और प्रपत्र ‘पी’ देने का प्रावधान है. इन प्रपत्रों में ठेकेदार द्वारा खनिजों की खरीद के स्रोत का विस्तृत उल्लेख किया जाना है. साथ ही संबंधित कार्यपालक अभियंता द्वारा इसे सत्यापन के लिए खान भूतत्व विभाग को भेजना है. जांच में पाया गया कि ठेकेदार ने इन प्रपत्रों को जमा नहीं किया है ना ही इसके लिए जिम्मेवार इंजीनियर ने इसकी मांग की है. रिपोर्ट में मापी पुस्तिका(एमबी) में ठेकेदार द्वारा अतिरिक्त काम करने और निर्धारित मात्रा से अधिक सामग्री का इस्तेमाल दिखाया गया है. साथ ही इसके लिए भुगतान भी किया गया है.


अतिरिक्त काम और सामग्री के मद में 20 से 300 प्रतिशत तक अधिक का भुगतान किया गया है. हालांकि कार्यपालक अभियंता को अधिकतम 10 प्रतिशत तक ही अधिक भुगतान का अधिकार है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कार्यपालक अभियंता ने जांच के दौरान ठेकेदार के साथ किये गये एकरारनामे की हस्ताक्षरित प्रति नहीं दी. कार्यपालक अभियंता की ओर से जांच दल को अहस्ताक्षरित प्रति दिखायी गयी. आशंका है कि निर्माण कार्यों में किसी तरह की गड़बड़ी होने पर भी सरकार ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकती है. स्टेडियम निर्माण का काम एसीएमइ को 6.08 करोड़ रुपये की लागत पर दिया गया है.

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