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मिजिल्स की चपेट में आ रहे राजघानी के लोग
बुखार और चकत्ता से परेशान चार मरीज इलाज के लिए पहुंचे रांची : राजधानी में मिजिल्स की चपेट में आनेवाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. पहले बुखार और उसके बाद शरीर में चकत्ता व छोटे-छोटे दाने हो जा रहे हैं. मिजिल्स की चपेट में आने के बाद लोग अस्पतालों के ओपीडी में […]
बुखार और चकत्ता से परेशान चार मरीज इलाज के लिए पहुंचे
रांची : राजधानी में मिजिल्स की चपेट में आनेवाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. पहले बुखार और उसके बाद शरीर में चकत्ता व छोटे-छोटे दाने हो जा रहे हैं. मिजिल्स की चपेट में आने के बाद लोग अस्पतालों के ओपीडी में परामर्श लेने पहुंच रहे हैं. रिम्स के मेडिसिन विभाग के ओपीडी में शनिवार को चार मरीज इलाज के लिए पहुंचे. मरीजों को तीन दिन के बुखार के बाद चेहरे पर दाना निकल गया था. ओपीडी में डॉ सीबी शर्मा ने मरीजों को परामर्श दिया.
जानें मिजिल्स को
रिम्स के फिजिसियन डॉ डीके झा ने बताया कि बुखार के साथ पहले ही दिन मोती के समान दाना शरीर पर निकल जाता है, जिसमें पानी भर जाता है. उसे चिकन पॉक्स कहते हैं. बुखार के साथ दूसरे दिन शरीर पर लाल चकत्ता उभर आता है, उसे स्कारलेट फीवर कहते हैं. यह वैक्टिरिया के कारण होता है. वहीं, बुखार के साथ चौथे दिन शरीर में छोटे-छोटे दाने व लाल चकत्ते निकल जाते हैं, उसे मिजिल्स कहते हैं.
टीका है बचाव
चिकन पॉक्स व मिजिल्स से बचने के लिए बाजार में टीका उपल्ब्ध है. चिकन पॉक्स का टीका जन्म के समय में एक बार लगाया जाता है. मिजिल्स का टीका जिसे एमएमआर कहा जाता है, उसे जन्म के नौ व 18 माह में लगाया जाता है.
सांस से फैलती है बीमारी
चिकन पॉक्स, मिजिल्स, जर्मन मिजिल्स सांस से फैलने वाली बीमारी है, इसलिए सावधानी बरतनी चाहिए. घर में किसी व्यक्ति को अगर बुखार के साथ शरीर में दाना व चकत्ता निकल आये, तो विशेष ध्यान दें. संक्रमित व्यक्ति को रूमाल दें, जिससे कि छींकने पर वायरस हवा के माध्यम से अन्य किसी को संक्रमित नहीं करे.
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