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संगोष्ठी: मार्केटिंग इन मेडिसिनल प्लांट्स विषय पर बोले मंत्री सरयू राय, राज्य में आयुर्वेद की प्रबल संभावना

रांची: झारखंड में आयुर्वेद की प्रबल संभावना है. पूरे विश्व में 40 प्रतिशत मेडिसिनल प्लांट्स का व्यावसाय होता है, जिसमें भारत की हिस्सेदारी सिर्फ एक प्रतिशत है, जबकि हर्बल मेडिसिन की कुछ प्रजातियां सिर्फ भारत में ही पायी जाती है. मसलन इसफगोल और अन्य कुछ प्रजातियां शामिल हैं. उक्त बातें खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय […]

रांची: झारखंड में आयुर्वेद की प्रबल संभावना है. पूरे विश्व में 40 प्रतिशत मेडिसिनल प्लांट्स का व्यावसाय होता है, जिसमें भारत की हिस्सेदारी सिर्फ एक प्रतिशत है, जबकि हर्बल मेडिसिन की कुछ प्रजातियां सिर्फ भारत में ही पायी जाती है. मसलन इसफगोल और अन्य कुछ प्रजातियां शामिल हैं.

उक्त बातें खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने गुरुवार को एसएन सिन्हा इंस्टीट्यूट में मार्केटिंग इन मेडिसिनल प्लांट्स विषय पर आयोजित संगोष्ठी में कही. उन्होंने कहा कि अगर मेडिसिनल प्लांट और बायो प्रोडक्ट को हम व्यवसाय के रूप में अपनायें, तो भविष्य की संभावनाएं उज्ज्वल होंगी. इसके लिए हमें तीन क्षेत्रों में काम करना चाहिए. ज्ञान, पौधों की सुरक्षा और प्राकृतिक रूप से इन मेडिसनल प्लांटों के उत्पादन के लिए लोगों को जागरूक करना, माइनिंग और पाैधों के संरक्षण के लिए सरकार भी अपनी जिम्मेवारी निभायेगी और लोगों को भी पाैधों के संरक्षण के लिए प्रेरित करेगी. विद्यार्थी भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए अपनी रुची बढ़ा कर इस क्षेत्र में कार्य करें. जिससे भारत का नाम विश्व के इस व्यवसाय में प्रथम स्थान पर आ सके.


मुख्य वक्ता डॉ पी कौशल (निदेशक वाइएस परमार विवि, सोलन) ने कहा कि भारत आयुर्वेद की जननी है. देश के कई भाग में जड़ी-बूटी पायी जाती है. झारखंड के जंगलों में भी जड़ी-बूटियों की भरमार है. आज भी हमारे ग्रामीण आदिवासी जड़ी-बूटी पर ही निर्भर हैं. सरकार जड़ी-बूटी की खरीदारी एवं बिक्री के लिए बोर्ड का गठन करे, जिससे किसान आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी के व्यवसाय से जुड़ सकें. वे जड़ी-बूटी को आसानी से बाजार में बेच सकें. विदेशों में आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी की काफी मांग है.

संगोष्ठी को संस्था के अध्यक्ष एनपी सिंह, डॉ सुदामा प्रसाद, प्रो एसआर प्रसाद, डॉ आरपी सिंह, डॉ सत्यदेव पांडेय, डॉ बी गोस्वामी, एचपी सिंह ने भी संबोधित किया. इस अवसर पर प्रो सुधीर कुमार, प्रो संगीता कुमारी, प्रो केडी पांडेय, प्रो संदीप कुमार शर्मा, प्रो निरंजन कुमार, डीके राय, एसएन पांडेय, ज्योतिमय चौधरी, विनय कुमार उपस्थित थे.
आय में वृद्धि होगी
डॉ एलएन भगत (पूर्व कुलपति रांची विवि) ने कहा कि आयुर्वेद की खेती और व्यवसाय कर झारखंड के ग्रामीण आजीविका में काफी सहयोग मिलेगा और उनकी आय में बढ़ोतरी होगी. जड़ी-बूटी की खेती के लिए सरकार को प्रोत्साहन देना चाहिए. डॉ एमएस मल्लिक (विभागाध्यक्ष वानिकी बिरसा कृषि विवि) ने कहा कि आज जंगलों के किनारे बसने वाले ग्रामीणों को आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी के बारे में जागरूक करने की आवश्यकता है. लोगों को अपने क्षेत्र में होनेवाले पौधे के बारे में जानकारियां नहीं हैं. जो भी जानकार लोग हैं, वह सिर्फ अपने परिवार तक ही पौधे की जानकारियां देते हैं.

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