मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ में हुई. प्रथम सत्र में चली सुनवाई के दाैरान खंडपीठ ने फटकार लगाते हुए माैखिक रूप से कहा कि अधिकारियों की कार्यशैली से झारखंड में स्वच्छ भारत अभियान मजाक बन कर रह गया है. अधिकारी झारखंड को स्वच्छ करने के बजाय गंदा कर रहे हैं. बच्चों के साथ मजाक हो रहा है. जिस स्वच्छ भारत मिशन की मॉनिटरिंग प्रधानमंत्री के स्तर से हो रही हो, उसकी यह स्थिति ठीक नहीं है.
पॉलिटिकल व्यक्ति आते हैं, तो उसके स्वागत में लाखों रुपये खर्च होते हैं? पोस्टर-बैनर लग जाते हैं? उस पैसे को गरीबों के कल्याण पर खर्च क्यों नहीं किया जाता है? खंडपीठ ने कहा कि अधिकारी कहते हैं कि समिति का गठन कर दिया गया है, निरीक्षण कर रहे हैं, जांच करा रहे हैं, यह कहने से नहीं चलेगा, बल्कि काम करके दिखाना होगा. सही अर्थों में स्वच्छ करके दिखाना होगा. स्कूलों में शाैचालय की व्यवस्था हर हाल में कायम करनी होगी. युद्धस्तर पर काम किया जाये. इसमें कोताही बरदाश्त नहीं की जायेगी. खंडपीठ ने केंद्र सरकार से पूछा कि आप जब राज्य सरकार को पैसा देते हैं, तो हिसाब क्यों नहीं लेते हैं.
यदि हिसाब लेते हैं, तो आपने राज्य से क्या हिसाब लिया है. जुलाई 2015 के बाद से स्वच्छ भारत मिशन के तहत क्या रिपोर्ट राज्य से मांगी गयी है आैर राज्य ने क्या रिपोर्ट दी है, उसे प्रस्तुत करें. खंडपीठ ने कहा कि एमीकस क्यूरी ने जो फोटोग्राफ्स दिया है, यदि वह सही है, तो आपके शपथ पत्र पर कोर्ट विश्वास नहीं करेगा. इससे पूर्व एमीकस क्यूरी अधिवक्ता अनुभा रावत चाैधरी ने खंडपीठ के समक्ष खूंटी जिला के राजकीय बालिका उच्च विद्यालय, राजकीय कन्या मध्य विद्यालय व राजकीय हिंदी मध्य विद्यालय में शाैचालय नहीं होने से संबंधित रिपोर्ट व फोटोग्राफ्स प्रस्तुत की. इसे रिकार्ड पर लेते हुए खंडपीठ ने खूंटी के उपायुक्त व जिला शिक्षा अधीक्षक (डीएसइ) को आज चार घंटे के अंदर चार बजे सशरीर उपस्थित होने का निर्देश दिया. निर्देश मिलने के बाद आनन-फानन में खूंटी के डीएसइ अशोक कुमार सिंह हाइकोर्ट पहुंचे. उन्होंने खंडपीठ को बताया कि जिले में 917 स्कूल है. अधिकतर स्कूलों में शाैचालय है. उल्लेखनीय है कि स्कूलों में शाैचालय की कमी संबंधी खबर को हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था.
चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दाैरान राज्य सरकार के जवाब को रिकाॅर्ड पर लेते हुए कहा कि राजधानी में चल रहे सभी परमिटधारी अॉटो का कलर छह सप्ताह में बदल दिया जाये. ग्रीन आैर पिंक कलर का ही अॉटो राजधानी में चलेगा. पिंक कलर का अॉटो महिलाअों के लिए होगा, जिसे महिला चालक ही चलायेंगी. खंडपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह ट्रैफिक पुलिसकर्मियों के स्वास्थ्य को देखते हुए एक सप्ताह के अंदर उन्हें गॉगल्स व मास्क उपलब्ध कराये. खंडपीठ ने वाहनों में लगाये गये प्रेशर हॉर्न को तत्काल बंद करने का निर्देश दिया. यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में धार्मिक स्थलों सहित अन्य सभी जगहों पर ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाने के उद्देश्य से उच्चस्तरीय समिति बैठक करे. प्रदूषण पर कैसे नियंत्रण लगाया जा सकता है, उस पर विचार कर निर्णय ले. साथ ही एक माह के अंदर रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत की जाये.