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अब कारपेट एरिया पर देना होगा होल्डिंग टैक्स

रांची: राजधानी में अब लोगों को कारपेट एरिया के हिसाब से होल्डिंग टैक्स देना होगा़ बुधवार को नगर आयुक्त प्रशांत कुमार अपने कार्यालय कक्ष में कहा कि पूर्व में रांची नगर निगम क्षेत्र में बने भवनों से विभिन्न जन सुविधाओं के बदले कई प्रकार के टैक्स लेता था. इसमें गृह कर, जल कर, शौचालय कर, […]

रांची: राजधानी में अब लोगों को कारपेट एरिया के हिसाब से होल्डिंग टैक्स देना होगा़ बुधवार को नगर आयुक्त प्रशांत कुमार अपने कार्यालय कक्ष में कहा कि पूर्व में रांची नगर निगम क्षेत्र में बने भवनों से विभिन्न जन सुविधाओं के बदले कई प्रकार के टैक्स लेता था.

इसमें गृह कर, जल कर, शौचालय कर, स्वास्थ्य अधिभार व शिक्षा अधिभार शामिल था. इन सब टैक्स को मिलाकर नगर निगम को भवन मालिक अपने मकान के बिल्डअप एरिया के हिसाब से निर्धारित दर का कुल 43.75 फीसदी टैक्स देते थे. लेकिन अब इन सभी टैक्स में से सिर्फ गृह कर ही लोगों को देना पड़ेगा. वह भी बिल्डअप एरिया के हिसाब से नहीं, बल्कि मकान के कारपेट एरिया के हिसाब से. इससे लोगों को कोई असुविधा नहीं होगी.

शहर अब तीन जोन में बंटा
आयुक्त ने कहा कि वर्ष 1992–93 में पूरे शहर के भवनों से एक ही दर पर होल्डिंग टैक्स लिया जाता था. परंतु अब शहर तीन भागों में बंट चुका है. अब शहर की प्रमुख सड़कों के किनारे रहनेवाले लोगों से अधिक टैक्स लिया जायेगा़ परंतु गली-मोहल्ले में रहनेवाले लोगों पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. निगम की ओर से हर तबके का ख्याल रखा गया है़ शहर के लोगों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के लिए टैक्स बढ़ाना जरूरी है.
ऐसे समझें टैक्स का गणित
नगर आयुक्त ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति का 1000 वर्गफीट का पक्का मकान शहर के किसी प्रधान मुख्य सड़क में है, तो उसे पूर्व में 700 रुपये देना पड़ता था, लेकिन अब 2100 रुपये चुकाना पड़ेगा. इसी प्रकार अगर किसी का एस्बेस्टस का मकान अगर 1000 वर्गफीट एरिया में है, तो उसे केवल 1087 रुपये ही टैक्स देना पड़ेगा. तीसरे कैटेगरी में आनेवाले 1000 वर्गफीट के मकानों को केवल 544 रुपये सालाना टैक्स देना होगा.
टैक्स बढ़ाना जरूरी, वरना शहर साफ भी नहीं करा पायेगा निगम

नगर आयुक्त ने कहा कि होल्डिंग टैक्स को लेकर जनप्रतिनिधियों, मीडिया व आमलोगों में भ्रम है. जबकि यह कहीं से भी अनुचित नहीं है. वर्तमान में नगर निगम 1992–93 की दर के आधार पर होल्डिंग टैक्स ले रहा है. इसका बढ़ाया जाना अत्यंत ही जरूरी हो गया है. अगर टैक्स नहीं बढ़ा, तो आनेवाले दिनों में नगर निगम शहर की सफाई तक नहीं करवा पायेगा. क्योंकि निगम के खर्च दिनोंदिन बढ़ रहे हैं. वहीं उसकी आय सीमित है.

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