अंतिम जांच रिपोर्ट तैयार करने से पहले दोनों पुलिसकर्मियों से मामले में जवाब मांगा गया था. जवाब आने के बाद फिर से जांच शुरू की गयी है. जल्द ही जांच रिपोर्ट तैयार हो जायेगी. अपने बचाव में बलबीर सिंह ने वरीय पुलिस अधिकारियों को बताया है कि यदि बाइक को चोरी की नियत से पुलिस थाना लाती, तो थाने में बाइक लाने की स्टेशन डायरी क्यों तैयार करती. बाइक उन्हें लावारिस अवस्था में मिली थी. बाइक के मालिक के संबंध में आसपास के लोगों से पूछताछ की गयी, लेकिन कुछ पता नहीं चला. उसके बाद सुरक्षा की दृष्टि से बाइक को थाना लाया गया था. दोनों पुलिसकर्मियों ने बाइक छोड़ने के लिए रिश्वत मांगने से संबंधित किसी भी आरोप से इनकार किया है.
पुलिस ने बरियातू थाना जाने को कहा. बाद में ज्यां द्रेज एक गवाह के साथ फिर से गोंदा थाना पहुंचे, तब उन्हें गोंदा पुलिस ने लालपुर थाना जाने को कहा. वह लालपुर थाना पहुंचे, तब सब-इंस्पेक्टर बलबीर सिंह ज्यां द्रेज पर चिल्लाने लगे और बेतुका सवाल पूछने लगे. बाद में ज्यां द्रेज ने देखा कि लालपुर थाने में ही बाइक खड़ी है. तब बलबीर सिंह ने ज्यां द्रेज को बताया कि 13 सितंबर को रांची कॉलेज स्नातकोत्तर विभाग के बाहर उनकी बाइक खड़ी थी. बाइक को सुरक्षा की दृष्टिकोण से जब्त किया गया.
जब ज्यां द्रेज ने बलबीर सिंह से कहा कि वे बाइक चोरी की शिकायत दर्ज करायेंगे, तब ज्यां द्रेंज को उनकी बाइक सौंप दी गयी. लालपुर थाने से बाइक ले जाने से पहले जमादार सुरेश ठाकुर ने ज्यां द्रेज से रिश्वत के रूप में 500 रुपये मांगे. उसके बाद ज्यां द्रेज ने डीसी से शिकायत की. इस पर वरीय पुलिस अधिकारियों ने तत्काल मामले में कार्रवाई करते हुए दोनों पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया था. मामले में पूर्व में एक बार सिटी डीएसपी जांच कर रिपोर्ट सौंप चुके हैं. रिपोर्ट तैयार करने के दौरान ज्यां द्रेज रांची से बाहर थे. डीएसपी ने उनका बयान फोन पर ले लिया था. बाद में ज्यां द्रेज ने सिटी एसपी के समक्ष अपना लिखित बयान दर्ज कराया था.