एमवीआइ को वाहनों की जांच के लिए समय नहीं मिल पाता है. इसी वजह से राइट टू सर्विस एक्ट में निर्धारित समय पर शायद ही काम हो पाता है. रांची समेत राज्य के सभी एमवीआइ कार्यालयों में आने वाले आवेदनों में से 20 फीसदी लंबे समय तक लंबित रहते हैं.
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एमवीआइ कार्यालय में समय से नहीं होता है काम
रांची. झारखंड में केवल छह एमवीआइ 24 जिलों के प्रभार में हैं. इसका सीधा असर काम पर पड़ रहा है. एमवीआइ कार्यालय की स्थिति बहुत खराब है. एमवीआइ कार्यालय में बिना दलाल के काम नहीं होता है. वाहनों का फिटनेस सर्टिफिकेट या एक्सीडेंटल सर्टिफिकेट बनवाना काफी परेशानी का काम है. एमवीआइ को वाहनों की जांच […]
रांची. झारखंड में केवल छह एमवीआइ 24 जिलों के प्रभार में हैं. इसका सीधा असर काम पर पड़ रहा है. एमवीआइ कार्यालय की स्थिति बहुत खराब है. एमवीआइ कार्यालय में बिना दलाल के काम नहीं होता है. वाहनों का फिटनेस सर्टिफिकेट या एक्सीडेंटल सर्टिफिकेट बनवाना काफी परेशानी का काम है.
रांची में फिटनेस व एक्सीडेंटल सर्टिफिकेट के आवेदन लंबित : रांची के एमवीआइ कार्यालय में फिटनेस के पांच व एक्सीडेंटल सर्टिफिकेट के 10 आवेदन लंबित हैं. पूरे माह में इन दोनों से संबंधित 30 से 40 मामले ही आते हैं, परंतु उनका भी समय से निपटारा नहीं हो पाता है. कई मामले मामूली त्रुटियों के कारण लंबित रह जाते हैं. वहीं, ज्यादातर मामले एक्सीडेंटल जांच की प्रक्रिया पूरी होने में लगनेवाले समय के कारण लंबित रहते हैं. रांची के एमवीआइ पांच जिलों के प्रभार में हैं, इस वजह से उनके पास दुघर्टनाग्रस्त वाहनों की जांच का समय मुश्किल से ही निकल पाता है.
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