रांची: राज्य के 200 स्कूलों के बच्चों को जनजातीय भाषा में छपी किताब दी जायेगी़ शिक्षा विभाग ने जनजातीय भाषा में कक्षा एक व दो की किताब तैयार की है़ किताब प्रकाशक को उपलब्ध करायी जायेगी. गणित व भाषा की किताब जनजातीय भाषा में दी जायेगी़ राज्य गठन के बाद पहली बार जनजातीय भाषा में […]
रांची: राज्य के 200 स्कूलों के बच्चों को जनजातीय भाषा में छपी किताब दी जायेगी़ शिक्षा विभाग ने जनजातीय भाषा में कक्षा एक व दो की किताब तैयार की है़ किताब प्रकाशक को उपलब्ध करायी जायेगी. गणित व भाषा की किताब जनजातीय भाषा में दी जायेगी़ राज्य गठन के बाद पहली बार जनजातीय भाषा में किताब स्कूलों में दी जा रही है़.
ये वैसे विद्यालय हैं, जहां शत-प्रतिशत बच्चे जनजातीय भाषा बोलने वाले है़ं स्कूलों में संताली, हो, मुंडारी, उरांव व खड़िया भाषा की किताब दी जायेगी़ किताब जेसीइआरटी की देखरेख में विषय-विशेषज्ञ शिक्षकों के द्वारा तैयार की गयी है़ प्रथम चरण में पायलट प्रोजेक्ट के तहत राज्य के 200 स्कूलों में इसकी शुरुआत की गयी है़ अगले वर्ष से और विद्यालयों में कक्षा एक व दो में जनजातीय भाषा में पढ़ाई की शुरुआत की जायेगी़.
झारखंड में कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां प्रारंभ में बच्चे अपनी मातृभाषा के अलावा दूसरी भाषा नहीं समझ पाते है़ं ऐसे में कक्षा एक व दो में हिंदी में किताब देने व पढ़ाने से बच्चे पढ़ाई को लेकर आकर्षित नहीं हो पाते है़ं बच्चे प्रारंभ से ही पढ़ाई से दूर भागने लगते हैं. ऐसे बच्चे प्रारंभिक कक्षा में भी ड्रापआउट हो जाते है़ं बच्चों को प्रारंभ में मातृभाषा में किताब उपलब्ब्ध कराने से पढ़ाई में उनकी रुचि बढ़ेगी़ ऐसे में आगे की कक्षाओं के लिए हिंदी की पढ़ाई के लिए भी उन्हें तैयार किया जायेगा़.
शिक्षकों की हुई है नियुक्ति
राज्य में प्राथिमक व मध्य विद्यालय में जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा में शिक्षकों की नियुक्ति हुई है़ शिक्षक पात्रता परीक्षा में जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा को अनिवार्य किया गया था़ . नव नियुक्त शिक्षक संबधित जिला के लिए मान्य जनजातीय या क्षेत्रीय भाषा में से एक भाषा में परीक्षा में शामिल हुए थे़. परीक्षा में जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा में पास होना अनिवार्य था़ शिक्षकों की नियुक्ति के बाद अब सरकार ने स्कूलों में प्रारंभिक कक्षा की पढ़ाई जनजातीय भाषा में शुरू करने का निर्णय लिया है़.
क्षेत्रीय भाषा में होगी पढ़ाई
कक्षा एक-दो के अलावा आगे की कक्षाओं में भी जनजातीय भाषा की पढ़ाई होगी़ जनजातीय भाषा के अलावा क्षेत्रीय भाषाओं की भी पढ़ाई प्रारंभिक कक्षाओं में शुरू की जायेगी़ झारखंड में कुरमाली, नागपुरी, पंचपरगनिया, खोरठा, बांग्ला, उड़िया भाषा की पढ़ाई शुरू करने की योजना है़ राज्य गठन के बाद से ही प्रारंभिक कक्षाओं में बच्चों को उनकी मातृ भाषा में पढ़ाई की सुविधा देने की बात कही जा रही थी, पर आज तक इसको लेकर कोई ठोस पहल नहीं हुई थी़.