रांची: झारखंड हाइकोर्ट में सोमवार को पर्यटन योजनाओं में करोड़ों की गड़बड़ी को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए मौखिक रूप से कहा कि सचिवों के असमय स्थानांतरण से विकास कार्यो पर प्रतिकूल असर पड़ता है. सचिवों का ट्रांसफर तीन साल पर होना चाहिए. पर्यटन विभाग में तीन साल में 13 सचिव बदले गये हैं. ऐसी स्थिति में विकास कार्य तो प्रभावित होगा ही. खंडपीठ ने राज्य सरकार को रांची के आसपास स्थित दशम, हुंडरू, हिरणी, सीता, जोन्हा व पंचघाघ जल प्रपातों में 26 जनवरी तक मूलभूत सुविधाएं देने का निर्देश दिया.
38 करोड़ रुपये का क्या हुआ : खंडपीठ ने इंडिया टूरिज्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (आइटीडीसी) को फटकार लगाते हुए पूछा कि वर्ष 2012 में केंद्र सरकार से 38 करोड़ रुपये मिले थे. उस राशि का क्या हुआ. क्या कागज पर ही खर्च कर दिये गये. पर्यटन विकास के कितने प्रोजेक्ट चल रहे हैं. उनकी क्या स्थिति है.
कौन-कौन प्रोजेक्ट 26 जनवरी तक पूर्ण हो जायेंगे. इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से खंडपीठ को बताया गया कि रांची व आसपास के जल प्रपातों में 26 जनवरी तक न्यूनतम आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करा दी जायेंगी. खंडपीठ ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई के लिए तीन दिसंबर की तिथि निर्धारित की. प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने पैरवी की.
पर्यटन सचिव ने कोर्ट को दी थी जानकारी
पर्यटन विभाग के अपर मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती ने कोर्ट को बताया था कि पिछले तीन वर्षो में 13 सचिव बदले गये हैं. स्थानांतरण की वजह से पर्यटन स्थलों का ठोस विकास नहीं हो पाया. योजनाओं की मॉनिटरिंग सही तरीके से नहीं हो पायी. सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. पुलिस के भरोसे सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जा सकती है. विकास में स्थानीय लोगों की सहभागिता जरूरी है.