रांची: राज्यपाल सह कुलाधिपति डॉ सैयद अहमद ने मानव संसाधन विकास विभाग में लंबित पड़ी विवि की महत्वपूर्ण फाइलों को निबटाने का निर्देश दिया है. राज्यपाल के निर्देश पर राजभवन ने मानव संसाधन विकास विभाग को विवि से संबंधित फाइलें शीघ्र निबटाने का निर्देश दिया है. राजभवन ने इन फाइलों को लंबित रखने के कारण के बारे में भी विभाग से जानकारी मांगी है. राज्यपाल ने शिक्षकेतर कर्मचारियों के वेतन निर्धारण सहित अन्य समस्याओं सहित एमफिल कोर्स, शिक्षक व प्राचार्य नियुक्ति की प्रगति के संबंध में भी आवश्यक जानकारी मांगी है. विभाग द्वारा अब तक वर्ष 2013-14 के बजट की स्वीकृति नहीं दिये जाने को भी काफी गंभीरता से लिया गया है. शिक्षकों व कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए विवि ने यूजीसी के मापदंड के आधार पर विवि एक्ट में संशोधन के लिए प्रस्ताव सिंडिकेट आदि से स्वीकृत करा कर भेजा है, लेकिन अभी तक सरकार व राज्यपाल से इसकी स्वीकृति नहीं मिल पाने के कारण नियुक्ति प्रक्रिया अटकी हुई है.
मालूम हो कि प्रभात खबर ने पूर्व में इस मुद्दे को उठाया था कि विवि की तरफ से जब विकास से संबंधित प्रस्ताव बना कर राज्य सरकार के पास भेजा जाता है, तो वहां जाकर फाइलें अटक जाती हैं. राज्य के पांचों विवि में शिक्षकों व कर्मचारियों के पद सृजन, कॉलेजों में प्राचार्य की नियुक्ति का मामला लगभग 13 साल में भी क्लीयर नहीं हो सका है.
अकेले रांची विवि की ओर से एमफिल कोर्स के लिए रेगुलेशन की स्वीकृति के लिए प्रस्ताव भेजा गया है, लेकिन इस दिशा में अभी तक कोई पहल नहीं हुई है. बिना रेगुलेशन के ही परीक्षा ले ली गयी है. बिना रेगुलेशन के रिजल्ट प्रकाशन में तकनीकी अड़चनें आ रही हैं.
इंजीनियरिंग के सिलेबस की स्वीकृति के लिए एक वर्ष पूर्व प्रस्ताव भेजा गया है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई की स्वीकृति के लिए भी प्रस्ताव भेजा गया. विवि में नया इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने और एमए इन एडुकेशन कोर्स शुरू करने का मामला विभाग में अटका हुआ है. विनोबा भावे विवि द्वारा चार वर्ष पूर्व ही स्नातकोत्तर विभागों में शिक्षकों के लिए पद सृजन का प्रस्ताव भेजा गया है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो सकी है.
विवि से पीजी स्तर पर जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई शुरू करने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है, लेकिन इस दिशा में भी कोई पहल नहीं की गयी है. इसी प्रकार नीलांबर-पीतांबर विवि से शिक्षकों की नियुक्ति का प्रस्ताव भेजा गया है, लेकिन नियुक्ति प्रक्रिया रोस्टर क्लीयरेंस व यूजीसी की नयी गाईडलाइन के आधार पर संशोधित एक्ट की स्वीकृति के कारण लंबित है.