रांची : जल संसाधन व पेयजल मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी ने कहा है कि जल संसाधन विभाग की प्राथमिकता 20-30 वर्षों पहले शुरू हुई योजनाअों को पुनर्जीवित करना है. इसके अलावा हम छोटी व मध्यम सिंचाई योजनाअों पर ध्यान दे रहे है. राज्य भर में बहने वाले छोटे नालों पर 751 चेक डैम बनाने की स्वीकृति […]
रांची : जल संसाधन व पेयजल मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी ने कहा है कि जल संसाधन विभाग की प्राथमिकता 20-30 वर्षों पहले शुरू हुई योजनाअों को पुनर्जीवित करना है. इसके अलावा हम छोटी व मध्यम सिंचाई योजनाअों पर ध्यान दे रहे है. राज्य भर में बहने वाले छोटे नालों पर 751 चेक डैम बनाने की स्वीकृति दी गयी है.
इस पर कुल 497 करोड़ रुपये खर्च होंगे. इससे कुल 37737 हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी. वहीं सुखाड़ के मद्देनजर सभी विधानसभा क्षेत्रों में विभाग 50-50 तालाबों का जीर्णोद्धार या निर्माण करेगा. विधायक इस काम की अनुशंसा कर सकेंगे. मंत्री सूचना भवन में अपने विभागों की उपलब्धियां गिना रहे थे.
पेयजल व स्वच्छता के संबंध में मंत्री ने कहा कि सांसदों व विधायकों से अगले वित्तीय वर्ष में उनके क्षेत्र में उपलब्ध बेहतर जल स्रोत की जानकारी देने के कहा जायेगा, जिसके सहारे ग्रामीण इलाके में पाइप से जलापूर्ति की जा सके. रांची शहर में नाली व जलापूर्ति पाइप एक साथ होने तथा भविष्य में इससे संभावित परेशानी संबंधी एक सवाल पर मंत्री ने कहा कि इसका वैकल्पिक समाधान खोजा जायेगा. वहीं सोन नदी का पानी पाइप लाइन के जरिये गढ़वा व पलामू लाकर जलापूर्ति करने संबंधी योजना का डीपीआर तैयार करने की कार्रवाई की जा रही है.
भूगर्भ जल से संबंधित एक सवाल पर जल संसाधन सचिव सुखदेव सिंह ने कहा कि रांची व इसके आसपास के क्षेत्र को छोड़ दें, तो झारखंड में भूगर्भ जल दोहन पर अभी बहुत दवाब नहीं है. रांची का कांके अकेला प्रखंड है, जो भूगर्भ जल के मामले में रेड जोन में है. उन्होंने कहा कि राज्य में अधिकतम सिंचाई क्षमता करीब 24 लाख हेक्टेयर के विरुद्ध करीब 5.67 लाख हेक्टेयर जमीन को पानी मिल रहा है, जो कुल क्षमता का करीब 20 फीसदी है.
सचिव ने बताया कि रांची में 1960 में बने डैमों के जरिये पेयजल आपूर्ति हो रही है. अब यह व्यवस्था नाकाफी हो रही है. वैकल्पिक उपाय तथा नये जलस्रोत विकसित करने के लिए जल संसाधन तथा पेयजल व स्वच्छता विभाग की एक संयुक्त कमेटी बनेगी.
पेयजल व स्वच्छता सचिव एपी सिंह ने कहा कि इस वर्ष तीन लाख शौचालय निर्माण के केंद्रीय लक्ष्य के विरुद्ध 16 दिसंबर 2015 तक 1.82 लाख व्यक्तिगत शौचालय बना लिये गये हैं. उन्होंने कहा कि विभाग आवेदन आधारित व्यक्तिगत शौचालय को प्राथमिकता नहीं दे रहा है. इसमें कई शिकायतें मिलती थी. इसके बजाय पूरे पंचायत को शौचालय निर्माण के लिए चुना जा रहा है. बाद में इस योजना को हम प्रखंड स्तरीय कर देंगे. दो अक्तूबर 2019 तक हर छूटे घर में शौचालय बना देने का लक्ष्य है.