रांची : राज्यपाल के पूर्व प्रधान सचिव व सेवानिवृत्त आइएएस डॉ एके पांडेय ने कहा कि गणित की उपयोगिता हर क्षेत्र में है. इसके विकास के लिए ब्यूरोक्रेट व साइंटिस्ट के बीच के बैरियर (बाधा) को दूर करना होगा. इससे इस क्षेत्र में कई काम हो सकेंगे. उन्होंने कहा कि गणित का उपयोग आदि काल […]
रांची : राज्यपाल के पूर्व प्रधान सचिव व सेवानिवृत्त आइएएस डॉ एके पांडेय ने कहा कि गणित की उपयोगिता हर क्षेत्र में है. इसके विकास के लिए ब्यूरोक्रेट व साइंटिस्ट के बीच के बैरियर (बाधा) को दूर करना होगा. इससे इस क्षेत्र में कई काम हो सकेंगे. उन्होंने कहा कि गणित का उपयोग आदि काल से हो रहा है.
आज इसकी उपयोगिता और दायरा बढ़ गया है. डॉ पांडेय सोमवार को रांची विवि पीजी गणित विभाग के तत्वावधान में मिश्रित व गणनासूचक गणित विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के उदघाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे. डॉ पांडेय ने कहा कि टेलीग्राफ के माध्यम से साम्राज्य को विकसित किया गया़ वर्तमान में कंप्यूटर के माध्यम से जो क्रांति आयी, उसका आधार गणित है.
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रतिकुलपति डॉ एम रजिउद्दीन ने कहा कि डिकोडिंग, ग्राफ, थ्योरी आदि की शुरुआत भारत से ही हुई है. सेमिनार को रांची विवि के साइंस डीन डॉ अंजनी कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि आर्यभट्ट ने मात्र 23 वर्ष की उम्र में दो वाॅल्यूम लिखा अौर सारी दुनिया को वृत्त का क्षेत्रफल निकालने का फाॅरमूला दिया. उन्होंने कहा कि सभी विषय अपने परिधि से बाहर निकल कर नये आयाम में अन्य विषय के साथ शोध कर रहे हैं.
कल्याणी विवि के सांख्यिकी विभाग के प्राध्यापक प्रेमादनिश दास ने भी वक्तव्य रखा. इससे पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ अनिल कुमार महतो ने आगंतुकों का स्वागत किया. सेमिनार में सोवेनियर का लोकर्पण किया गया. आयोजन सचिव डॉ एनएन अग्रवाल ने विषय प्रवेश कराया. धन्यवाद ज्ञापन रांची विवि के रजिस्ट्रार डॉ अमर कुमार चौधरी ने किया.
इस अवसर पर डॉ गणेश दत्ता, प्रो आदित्य बागची, डॉ पीके वर्मा, डॉ यूसी मेहता, डॉ पीपी चट्टोराज, डॉ विजय अग्रवाल, डॉ एके झा, डॉ ज्योति कुमार, सहित कई शिक्षक व विद्यार्थी उपस्थित थे. शाम में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया.