35.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पांच मेसो अस्पतालों का संचालन आज तक शुरू नहीं हो सका

रांची : कल्याण विभाग जनजातीय समुदाय को स्वास्थ्य सुविधाएं देने में विफल साबित हो रहा है. कई उदाहरण से यह बात पुख्ता हो जाती है. राज्य के जनजातीय इलाके (मेसो क्षेत्र) में 14 अस्पताल खोलने की योजना वर्ष 2003 में बनी थी. कुल नौ अस्पताल वर्ष 2009 में शुरू हुए, पर इनमें से पांच मेसो […]

रांची : कल्याण विभाग जनजातीय समुदाय को स्वास्थ्य सुविधाएं देने में विफल साबित हो रहा है. कई उदाहरण से यह बात पुख्ता हो जाती है. राज्य के जनजातीय इलाके (मेसो क्षेत्र) में 14 अस्पताल खोलने की योजना वर्ष 2003 में बनी थी. कुल नौ अस्पताल वर्ष 2009 में शुरू हुए, पर इनमें से पांच मेसो अस्पतालों का संचालन आज तक शुरू नहीं हो पाया है.

ये करीब दो-तीन वर्षों से बन कर बेकार हैं. गैर सरकारी संस्थाअों या अस्पतालों के माध्यम से इनका संचालन होना है, पर अभी तक यह मामला प्रक्रिया में ही उलझा है. संचालित हो रहे नौ अस्पतालों से संबद्ध संस्थाअों को सरकार प्रति अस्पताल 1.59 करोड़ रुपये का सालाना भुगतान करती है.

दूरदराज के इलाके के वंचित व गरीबों को नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने वाले ये अस्पताल 50 बेड के हैं. इनमें फर्स्ट रेफरल यूनिट (एफअ़ारयू) की सुविधा होती है. इन अस्पतालों का संचालन लोक निजी भागीदारी (पीपीपी मोड) के तहत गैर सरकारी संस्थाओं, ट्रस्ट या किसी अस्पताल प्रबंधन के जरिये होना है. मेसो अस्पताल के निर्माण के लिए धन केंद्र सरकार ने आर्टिकल 275(1) के तहत दिया है. निर्माण में प्रति अस्पताल औसतन 1.30 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.
आयुर्वेदिक चिकित्सा केंद्र : जनजातीय इलाकों में कल्याण विभाग के 35 आयुर्वेदिक चिकित्सा केंद्र संचालित हैं. इन अस्पतालों के संचालन तथा वहां उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल यह है कि इन 35 अस्पतालों के लिए सिर्फ 10 चिकित्सक हैं, जो एक से अधिक के प्रभार पर हैं. एक चिकित्सक डॉ चत्रप सिंह तो चार अस्पतालों के प्रभारी चिकित्सक हैं.
इनमें से एक अस्पताल सिमडेगा, एक गुमला, एक लातेहार व एक पलामू में है. ऐसे हालात में ज्यादातर अस्पताल वैद्य सहायकों के भरोसे हैं, जो मरीज को अपने हिसाब से दवा देते हैं. दूसरी ओर स्वीपर, रसोइया व वैद्य सहायकों के 59 सृजित पदों के विरुद्ध सिर्फ 28 कार्यरत हैं. साल में एक बार इन अस्पतालों के लिए आयुर्वेदिक दवाओं की खरीद होती है, जो इस वर्ष अब तक नहीं हुई है. इससे अस्पतालों में दवा की कमी हो गयी है.
पहाड़िया हेल्थ सेंटर : कल्याण विभाग संताल परगना में कुल 18 पहाड़िया हेल्थ सेंटर भी चलाता है, यहां एलोपैथिक इलाज होता है. संताल परगना में रहनेवाली पहाड़िया जनजातियों को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए इन्हें संचालित किया जाता है. खबर है कि दुमका, साहेबगंज, पाकुड़ व गोड्डा जिलों के ये अस्पताल बिरले ही खुलते हैं.
यहां कार्यरत एक चिकित्सक ने बताया कि चालू वर्ष में इन केंद्रों के लिए दवाएं भी नहीं खरीदी जा सकी हैं. वहीं वहां नियुक्त महिला व पुरुष स्वास्थ्य कार्यकर्ताअों की संख्या कम है, तथा जो हैं उन्हें अभी जनवरी से दिसंबर तक का मानदेय (151 रु प्रतिदिन) भी नहीं मिला है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें