रांची: झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की ओर से की गयी डॉक्टर और व्याख्याता नियुक्ति में हुई गड़बड़ी को लेकर सीबीआइ ने बुधवार को आठ ठिकानों पर छापामारी की. रांची में छह और हजारीबाग व बिहार के बांका में एक- एक ठिकानों पर कार्रवाई की गयी.
छापामारी के दौरान सीबीआइ को दोनों ही नियुक्तियों से जुड़े कुछ अहम दस्तावेज मिले हैं. जेपीएससी के पूर्व अध्यक्ष दिलीप प्रसाद के आवास से 15,05,700 रुपये मिले. जेपीएससी के तत्कालीन सदस्य सह कार्यकारी अध्यक्ष आलोक सेनगुप्ता अपने घर पर नहीं मिले.
नियमों का उल्लंघन कर नियुक्त किया
सीबीआइ ने डॉक्टर नियुक्ति घोटाले में आरोपी बनाये गये जेपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष दिलीप प्रसाद, तत्कालीन सदस्य सह कार्यकारी अध्यक्ष आलोक सेनगुप्ता, तत्कालीन सचिव सह परीक्षा नियंत्रक एलिस उषा रानी सिंह, लाभुक डॉक्टर नलिनी के आवास पर छापामारी की.
इसके अलावा मेसर्स आइकॉन के पार्टनर राजेश नाथ शाहदेव के पीपी कंपाउंड स्थित कार्यालय सह घर में भी छापा मारा. दिलीप प्रसाद, आलोक सेनागुप्ता, एलिस उषा रानी पर नियमों का उल्लंघन कर डॉक्टर नलिनी को नियुक्त करने का आरोप है. वहीं व्याख्याता नियुक्ति घोटाले में जेपीएससी के तत्कालीन सदस्य गोपाल प्रसाद, एलिस उषा रानी और मेसर्स ग्लोबल इंफॉरमेटिक के रांची स्थित कार्यालय सह आवास पर कार्रवाई की गयी. इन सभी पर व्याख्याता नियुक्ति में नियम का उल्लंघन करने और खास लोगों को लाभ पहुंचाने के आरोप हैं.
बक्से में रखा था पैसा
सीबीआइ के अधिकारी जब दिलीप प्रसाद के रांची के पुरुलिया रोड स्थित आवास पर पहुंचे, तो घर बंद पाया. दिलीप प्रसाद के भाई से सीबीआइ की टीम ने चाबी मंगवायी. इसके बाद घर का ताला खोला गया. घर से सीबीआइ ने 15,05,700 रुपये बरामद किये. पैसे एक बक्से में रखे थे. इसके बाद बैंक के कर्मियों को बुलवा कर पैसे की गिनती करवायी गयी.
जेपीएससी के 12 मामले में सीबीआइ के पास
– सभी मामले हाइकोर्ट ने सौंपे हैं सीबीआइ को
– चार में सीबीआइ ने पहले ही नियमित प्राथमिकी दर्ज कर ली थी
– आठ मामलों में प्रारंभिक जांच शुरू की थी. इनमें डॉक्टर व व्याख्याता नियुक्ति घोटाले में हाल ही में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी
– डिप्टी रजिस्ट्रार की नियुक्ति में हुई गड़बड़ी की जांच के बाद सीबीआइ ने आरोप पत्र दायर कर दिया है
लॉ यूनिवर्सिटी में हैं आलोक सेनगुप्ता
डॉक्टर नियुक्ति में गड़बड़ी के आरोपी तत्कालीन सदस्य सह कार्यकारी अध्यक्ष आलोक सेनगुप्ता सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारी हैं. उन्होंने चारा घोटाले के कई मामलों में महत्वपूर्ण फैसले सुनाये थे. साथ ही दीपेश चांडक को सरकारी गवाह बनाने से इनकार किया था. वह राज्यपाल के ओएसडी भी रह चुके हैं. फिलहाल ला यूनिवर्सिटी में कार्यरत हैं.