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किसानों के बीच आज बंटेगा सॉयल हेल्थ कार्ड

रांची : पांच दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय मृदा दिवस के अवसर पर केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह बिरसा कृषि विवि, कांके रांची में आयोजित सम्मेलन का उदघाटन करेंगे. इसी दिन सॉयल हेल्थ कार्ड का भी शुभारंभ किया जायेगा. कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्यमंत्री रघुवर दास करेंगे. इस मौके पर राज्य के कृषि मंत्री रणधीर कुमार सिंह […]

रांची : पांच दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय मृदा दिवस के अवसर पर केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह बिरसा कृषि विवि, कांके रांची में आयोजित सम्मेलन का उदघाटन करेंगे. इसी दिन सॉयल हेल्थ कार्ड का भी शुभारंभ किया जायेगा. कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्यमंत्री रघुवर दास करेंगे. इस मौके पर राज्य के कृषि मंत्री रणधीर कुमार सिंह भी मौजूद रहेंगे.
5500 किसान भाग लेंगे
इस कार्यक्रम में झारखंड के रांची, खूंटी, लोहरदगा, हजारीबाग, रामगढ़, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला, लातेहार एवं गुमला जिलों के लगभग 5500 किसान भाग लेंगे. साथ ही कृषि एवं गन्ना विकास विभाग, झारखंड सरकार, राष्ट्रीय बागवानी मिशन, राज्य कृषि विवि एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद संस्थानों के प्रतिनिधि भी इस कार्यक्रम में सम्मिलित होंगे.
कार्ड का इस्तेमाल कर किसान अधिक उपज प्राप्त कर सकेंगे : अनुसंधान केंद्र, प्लांडू के वरीय वैज्ञानिक डॉ एके सिंह ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा मानव जीवन में मिट्टी के महत्व के प्रति नीति निर्धारकों को जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से वर्ष 2015 को अंतरराष्ट्रीय मृदा वर्ष के रूप में घोषित किया गया है. इस उपलक्ष्य में पांच दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय मृदा दिवस मनाया जा रहा है. देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 2.4 प्रतिशत अर्थात 7.97 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र झारखंड में स्थित है. यह देश का पूर्वी पठारी एवं पहाड़ी भाग है.

जलवायु के अनुसार, यह क्षेत्र कृषि मौसमी अंचल-7 के अंतर्गत चतुर्थ, पंचम एवं षष्ठम उप अंचल के अधीन आता है. इस क्षेत्र की मिट्टी अम्लीय होने के कारण फसलों की अौैसत उपज भारत की अौसत उपज से कम रह जाती है. इस क्षेत्र में फसलों की सिंचाई करना भी चुनौतीपूर्ण कार्य है. अत: यहां कृषि वर्षा पर आश्रित है. वर्तमान समय में तकनीकी, सामाजिक एवं आर्थिक कठिनाइयों के कारण भू-जल एवं तालाबों के पानी की सिंचाई में प्रभावी ढंग से सदुपयोग करने की आवश्यकता है. झारखंड के किसानों के बीच सॉयल हेल्थ कार्ड के शुभारंभ से मिट्टी की नियमित जांच द्वारा किसानों को फसल के अनुसार उचित मात्रा में उचित उर्वरक एवं खाद के प्रयोग का ज्ञान दिया जा सकेगा. इसका इस्तेमाल कर वे अपनी भूमि से अधिक उपज प्राप्त कर सकेंगे.

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