…दिल तो बच्चा है जी रिम्स के 1965 बैच ने मनाया गोल्डन जुबिली, यादों में हो गये गुम फोटो—विमलदेवलाइफ रिपोर्टर @ रांचीरिम्स ऑडिटोरियम में बुधवार को 1965 बैच के विद्यार्थियों ने गोल्डन जुबली मनाया. 50 साल बाद सभी एकजुट हुए और पुरानी यादों में खो गये. कार्यक्रम में देश-विदेश में कार्यरत डॉक्टर शामिल हुए. एसोसिएशन की ओर से प्रत्येक विद्यार्थियों को शॉल व प्रतीक चिन्ह दे कर सम्मानित किया गया. डॉक्टरों ने विद्यार्थी जीवन के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी. कार्यक्रम की शुरुआत स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ सुषमा प्रिया ने दीप प्रज्ज्वलित कर की. इसके बाद स्कूली छात्रों ने मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया. कार्यक्रम में 76 डॉक्टर शामिल हुए. …………………डॉ चिरप्रभा बनीं गोल्डन गर्ल बोकारो से आयी डॉ चिरप्रभा केरकेट्टा को गोल्डन गर्ल का सम्मान दिया गया. डाॅ केरकेट्टा अस्वस्थता के बावजूद कार्यक्रम में शामिल हुई. उनका उत्साह देख कर सबकी सहमती से गोल्डन गर्ल से सम्मानित किया गया. शिव शंकर राय भी व्हील चेयर पर ही कार्यक्रम में शामिल होने आये. …………….परिसर को हरा-भरा रखने का संकल्पडॉक्टर निदेशक कार्यालय के सामने स्थित राजेंद्र पार्क गये. वहां ग्रुप तसवीर ली गयी. सबने यहां से जुड़ी यादों को शेयर किया. कुछ ने कहा कि जितनी उम्मीद थी उसके हिसाब से बदलाव नहीं हुआ है. इसके बाद पौधरोपण किया गया और रिम्स परिसर को हरा-भरा करने का संकल्प लिया. ……………..पुराने दोस्तों के खोने का दिखा गम1965 बैच के दिवंगत दोस्तों की याद में श्रद्धांजलि सभा की गयी. मौन रख कर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गयी. डॉ एलबी पांडेय ने कहा कि यदि आत्मा होती है, तो हम अपने दोस्तों को याद करना चाहेंगे. उन्होंने कहा कि कई डॉक्टर साथी इस दुनिया में नहीं हैं, इसका गम हम सभी को है. दिवंगत साथियों का नाम व चित्र प्रोजेक्टर के माध्यम से दिखाया गया. …………………..कनाडा से आयी हूं. पिछली बार रिम्स में 1979 वर्ष में आयी थी. वर्षों बाद यहां आना काफी अच्छा लग रहा है. बहुत ज्यादा तो, नहीं लेकिन काफी कुछ बदला है. क्लास रूम व परिसर को देखने के बाद पुरानी यादें ताजा हो गयी. मुझे लगता है कि जितना बदलाव होना चाहिए था, उतना नहीं हुआ है. डॉ उषा सिंघल, इंगलैंड……………………….कार्यक्रम में शामिल होने के लिए अमेरिका से आया हूं. रिम्स परिसर में बहुत अच्छा लग रहा है. सालों बाद यहां आने से काफी खुशी हो रही है. यह यादगार पल है. पुराने दोस्त को काफी समय बाद एक जगह देखने को मिल रहा है. डॉ सुनीता जैन, अमेरिका …………………………….मैं अमेरिका से 1972 में यहां घूमने आयी थी. अमेरिका में जेनरल प्रैक्टिस करती हूं. अपने कॉलेज में आने में हर्ष महसूस रही हूं. जिस हॉस्टल में रहती थी, वहां देखने जाऊंगी. दो दिन तक मदर इंस्टीट्यूट में रहने का मौका मिलेगा. कई ऐसे दोस्त हैं, जिनसे काफी दिनों बाद मुलाकात हो रही है. डॉ जीनत अंसारी, इंगलैंड……………………………….इस आयोजन के लिए तीन-चार महीने से मेहनत कर रहे थे. अधिक से अधिक डॉक्टर साथियों को एकत्र करके बहुत खुशी मिल रही है. हमारे लिए यह उपलब्धि है. कई चिकित्सक दोस्त के साथ और उनकी पत्नी भी सहयोग कर रही थीं. डॉ बीके वर्मा, रांची………………………दोस्तों को देख कर जितनी खुशी आज मिल रही है, उसको मैं बयां नहीं कर सकता. मेरी पत्नी भी काफी उत्साहित थी. दोस्तों के लिए गिफ्ट खरीदे. अफसोस है कि मेरे कई दोस्त आज इस दुनिया में नहीं हैं. डॉ एलबी पांडेय, रांची
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…दिल तो बच्चा है जी
…दिल तो बच्चा है जी रिम्स के 1965 बैच ने मनाया गोल्डन जुबिली, यादों में हो गये गुम फोटो—विमलदेवलाइफ रिपोर्टर @ रांचीरिम्स ऑडिटोरियम में बुधवार को 1965 बैच के विद्यार्थियों ने गोल्डन जुबली मनाया. 50 साल बाद सभी एकजुट हुए और पुरानी यादों में खो गये. कार्यक्रम में देश-विदेश में कार्यरत डॉक्टर शामिल हुए. एसोसिएशन […]
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