रांची: राज्य के बैंकों में शिक्षा लोन को लेकर गंभीरता नहीं दिखायी जा रही है. एक वर्ष में दिया गया शिक्षा लोन गत वर्ष की समान अवधि की तुलना में 80 फीसदी कम है. पिछले एक साल के दौरान (सितंबर 2012 से सितंबर 2013) बैंकों ने 106.58 करोड़ रुपये एजुकेशन लोन के रूप में दिये, जबकि वर्ष 2012-13 की समान अवधि में बैंकों ने 544.84 करोड़ रुपये लोन दिये थे.
भारत सरकार व वित्त मंत्रलय ने राज्य के बैंकों के लिए लगभग 12000 छात्रों को एक वर्ष में लोन देने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जबकि 5675 विद्यार्थियों को ही लोन दिया जा सका है. मिली जानकारी के अनुसार झारखंड से हर साल 25-30 हजार बच्चे उच्च शिक्षा के लिए तैयार होते हैं. मेडिकल, इंजीनियरिंग, प्रबंधन आदि उच्च शिक्षा के लिए छात्रों को लोन की जरूरत पड़ती है. सूत्रों के अनुसार बैंकों की उदासीनता ( विशेष रूप से निजी बैंकों) के कारण एजुकेशन लोन का लक्ष्य पूरा नहीं हो रहा है. लोन के लिए आवेदन करने वाले विद्यार्थियों को काफी चक्कर काटने पड़ते हैं.
निजी बैंकों की भागीदारी कम
भारत सरकार व इंडियन बैंक्स एसोसिएशन द्वारा एजुकेशन लोन को प्राथमिकता दी जाती है. राज्य में स्थित 13 निजी बैंकों द्वारा इस अवधि में कुल 199 छात्रों को मात्र 3.41 करोड़ रुपये ही एजुकेशन लोन दिये गये. कर्नाटक बैंक, जम्मू एंड कश्मीर बैंक, यश बैंक, लक्ष्मी विलास बैंक, करूर वैश्य बैंक तथा आइएनजी वैश्य बैंक द्वारा खाता भी नहीं खोले गये हैं.