छठे वेतन आयोग ने 40 प्रतिशत की वृद्धि की थी, लेकिन सातवें वेतन आयोग ने 16 प्रतिशत की वृद्धि करने की अनुशंसा की है, जिससे 24 प्रतिशत न्यूनतम वेतन में कटाैती की गयी है. आवास भत्ता को 20 से घटा कर 16 प्रतिशत कर दिया गया है. भारत के तीन लाख ग्रामीण डाक सेवकों को सातवें वेतन आयोग में नहीं जोड़ा गया है.
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सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट का विरोध, प्रदर्शन
रांची: सेंट्रल गवर्मेंट इंप्लाइज कनफेडरेशन की झारखंड राज्य इकाई के तत्वावधान में शुक्रवार को केंद्रीय कर्मचारियों ने सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट के विरोध में प्रदर्शन किया. प्रदर्शन डोरंडा स्थित सर्वे अॉफ इंडिया कार्यालय के मुख्य प्रवेश द्वार के समक्ष किया गया. वेतन आयोग की रिपोर्ट को खारिज करते हुए उसकी प्रतियां जलायी गयी. कनफेडरेशन […]
रांची: सेंट्रल गवर्मेंट इंप्लाइज कनफेडरेशन की झारखंड राज्य इकाई के तत्वावधान में शुक्रवार को केंद्रीय कर्मचारियों ने सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट के विरोध में प्रदर्शन किया. प्रदर्शन डोरंडा स्थित सर्वे अॉफ इंडिया कार्यालय के मुख्य प्रवेश द्वार के समक्ष किया गया. वेतन आयोग की रिपोर्ट को खारिज करते हुए उसकी प्रतियां जलायी गयी. कनफेडरेशन के अध्यक्ष डॉ सहदेव राम ने आयोग की अनुशंसाअों पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि सातवें वेतन आयोग को न्यूनतम मूल वेतन 26,000 रुपये करना था, लेकिन आयोग ने पूर्व के सभी वेतन आयोग के अंतराल की अनदेखी करते हुए रिपोर्ट सरकार को साैंप दी है.
51 तरह के भत्तों को समाप्त कर दिया गया. केंद्र सरकार से वेतन आयोग की रिपोर्ट की समीक्षा करने की मांग की गयी. यदि सरकार ने समीक्षा नहीं की, तो दो दिसंबर की हड़ताल पर जाने के लिए कर्मी बाध्य हो जायेंगे. महासचिव रंजन चाैधरी ने कहा कि बढ़ती महंगाई में केंद्रीय कर्मियों के परिवार की आर्थिक स्थिति दयनीय हो जायेगी. इस अवसर पर नरेश यादव, संजय कुमार, ज्योत्सना कुमारी, रामू साहू, रंजीत सिंह, एलएच दीपक, जयनाथ राम, वकील राम, सरोज ठाकुर, निखलेश्वर कुमार, संतोष प्रसाद, देवेंद्र कुमार, परवेज अख्तर, सीमा सिंह सहित काफी संख्या में प्रदर्शनकारी उपस्थित थे.
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