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गुटबाजी में फंसी शहर की सरकार

गुटबाजी में फंसी शहर की सरकारमेयर-डिप्टी मेयर में बढ़ी तकरार अधिकतर पार्षद डिप्टी मेयर के समर्थन में, मेयर पड़ी अलग-थलग संवाददाता, रांची शनिवार को आयोजित रांची नगर निगम स्टैंडिंग कमेटी की बैठक को स्थगित करना पड़ा. कारण था बैठक में स्टैंडिंग कमेटी के एक भी पार्षदों का भाग नहीं लेना. मेयर द्वारा बुलायी गयी इस […]

गुटबाजी में फंसी शहर की सरकारमेयर-डिप्टी मेयर में बढ़ी तकरार अधिकतर पार्षद डिप्टी मेयर के समर्थन में, मेयर पड़ी अलग-थलग संवाददाता, रांची शनिवार को आयोजित रांची नगर निगम स्टैंडिंग कमेटी की बैठक को स्थगित करना पड़ा. कारण था बैठक में स्टैंडिंग कमेटी के एक भी पार्षदों का भाग नहीं लेना. मेयर द्वारा बुलायी गयी इस बैठक में एक भी पार्षदों के भाग नहीं लेने से एक बात साफ हो गयी कि रांची नगर निगम में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. निगम अब दो गुटों में बंट चुका है. एक गुट का नेतृत्व मेयर आशा लकड़ा कर रही है, तो दूसरे गुट का नेतृत्व डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय कर रहे हैं. दाेनों ही गुट इस ताक में लगे हुए हैं कि किस प्रकार से दूसरे गुट को मात दी जाये. इस शह-मात के खेल में शहर के विकास का एजेंडा ही गायब हो गया है. इसका खामियाजा शहर की जनता को भुगतना पड़ रहा है. ऐसे बढ़ी मेयर-डिप्टी मेयर में तकरारनोट फॉर वोट कांड के कारण राजधानी में एक साल तक मेयर का चुनाव नहीं हुआ. इस दौरान मेयर के प्रभार में डिप्टी मेयर ही रहे. इस दौरान मेयर द्वारा लिये जानेवाले सारे नीतिगत निर्णयों का निबटारा डिप्टी मेयर ही करते रहे. एक वर्षों बाद मेयर का चुनाव हुआ. इसमें आशा लकड़ा मेयर बनीं. श्रीमती लकड़ा ने मेयर का पदभार ग्रहण करने के साथ ही एक माह के अंदर सबसे पहले डिप्टी मेयर को नगर निगम के टेंडर कमेटी से बाहर कर दिया. यह कमेटी शहर की सड़क से लेकर नाली व तमाम तरह के विकास कार्यों के लिए टेंडर करना व उसका निष्पादन करने का काम करती है. इसके बाद टेंडर कमेटी में शामिल होने के लिए डिप्टी मेयर ने काफी कोशिश की लेकिन मेयर ने डिप्टी मेयर को इस कमेटी में नहीं शामिल किया. बैठक में नहीं बुलाये जाने से बढ़ा विवाद मेयर बनते ही आशा लकड़ा ने यह नियम बनाया कि वे महीने के हर दूसरे बुधवार को अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक करेंगी. बैठक में शहर में नगर निगम द्वारा किये जा रहे विकास कार्यों पर चर्चा होगी. परंतु इस बैठक में भाग लेने के लिए कभी भी डिप्टी मेयर को आमंत्रित नहीं किया गया. डिप्टी मेयर ने भी कई बार इस बात को बैठक में रखा, परंतु मेयर ने इसे सिरे से खारिज कर दिया. मेयर का कहना है कि ये उनकी अपनी समीक्षा बैठक है, इसलिए इसमें उन्हीं को बुलाया जायेगा जिसे वे खुद आमंत्रित करेंगी. इतना ही नहीं इन बैठकों में क्या चर्चा हुई, क्या निर्णय लिये गये, इसकी कार्यवाही की कॉपी भी डिप्टी मेयर को उपलब्ध नहीं करायी जाती. फाइल भी नहीं भेजी जाती डिप्टी मेयर के पास विवाद का एक प्रमुख कारण निगम के स्टैंडिंग व बोर्ड की बैठक के लिए बनायी जानेवाली प्रोसिडिंग थी. नियमत: ये सारी फाइलें नगर आयुक्त के माध्यम से डिप्टी मेयर के पास से होते हुए मेयर के पास जानी चाहिए थी. परंतु कई बार ये फाइलें डिप्टी मेयर काे किनारे करते हुए सीधे मेयर के पास भेज दी गयी. इस पर डिप्टी मेयर ने जब आपत्ति जतायी तो मेयर ने कहा कि जरूरी नहीं कि हर फाइल डिप्टी मेयर के पास भेजी जाये. क्योंकि जब मेयर हस्ताक्षर कर ही रही हैं तो इसमें डिप्टी मेयर के हस्ताक्षर करने या न करने से कोई फर्क नहीं पड़ता. क्योंकि निगम बोर्ड की अध्यक्ष तो वह खुद हैं. सड़क नाली से लेकर विकास कार्यों पर पड़ा असर मेयर व डिप्टी मेयर की इस लड़ाई का असर शहर के विकास कार्यों पर सीधे तौर पर पड़ रहा है. अधिकतर पार्षदों के डिप्टी मेयर के समर्थन में रहने के कारण कई बार वार्डों में होनेवाली सड़क, नाली व कलवर्ट निर्माण की फाइल महीनों तक निष्पादित नहीं होती है. इसके अलावा अधिकारी भी इस उलझन में रहते हैं कि आखिर वे मेयर की सुनें या डिप्टी मेयर की.

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