रांची: राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में तीन एक्सरे मशीन को एटोमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड (एइआरबी) ने सील कर दिया है़ तीनों एक्सरे मशीन बिना लाइसेंस के चल रहे थे़ एइआरबी ने निजी अस्पताल आलम फोर्टिस के कैथ लैब, िसटी स्कैन व एक्सरे मशीन को भी सील कर दिया है़ ये भी बिना लाइसेंस के चल रहे थे़ फिलहाल इन मशीनों से किसी भी तरह की जांच नहीं हो सकेगी़. .
अंकोलॉजी विभाग में सभी कुछ सही : एइआरबी की तीन सदस्यीय टीम सुबह 11 बजे रिम्स पहुंची़ रेडियोलॉजी विभाग में एक्सरे और सीटी स्कैन मशीन से संबंधित दस्तावेज मांगे, पर विभागाध्यक्ष इसे नहीं दे पाये. इसके बाद टीम ने तीन एक्स-रे मशीन को सील कर दिया. टीम अंकोलॉजी विभाग गयी और रेडियोथेरेपी मशीन से संबंधित दस्तावेज मांगे़ संतुष्ट होने के बाद टीम यहां से निकल गयी़.
मानक पूरा नहीं करता रिम्स का कैथ लैब
टीम ने जांच में पाया कि सीटी स्कैन मशीन भी बिना लाईसेंस के चल रही है. कैथ लैब भी मानक को पूरा नहीं करता है. टीम पहले सीटी स्कैन व कैथ लैब को सील करना चाहती थी़ पर यह जानकारी होने पर कि ऐसा करने पर मरीजों की मौत हो सकती है, एक माह का समय दे दिया़ दोनों विभाग के अधिकारियों को एक माह में लाइसेंस की प्रक्रिया पूरी कर लेने की हिदायत दी है़ टीम कार्डियोलॉजी विभाग के बाहर आधे घंटा तक खड़ी रही, पर कोई पदाधिकारी नहीं आये. इसे बाद टीम यहां से लौट गयी़.
आलम से स्पष्टीकरण भी
इसके बाद टीम राजधानी के निजी अस्पतालों का निरीक्षण करने निकली़ आलम फोर्टिस अस्पताल गयी़ वहां कैथ लैब, सीटी स्कैन और एक्सरे मशीन से संबंधित कागजात मांगी. अस्पताल प्रबंधन किसी प्रकार का कागजात प्रस्तुत नहीं कर पाया. इसके बाद अस्पताल के कैथ लैब, सीटी स्कैन व एक्स-रे मशीन को सील कर दिया है. टीम ने अस्पताल से स्पष्टीकरण भी मांगा है.
पल्स डायग्नोस्टिक व फस्ट प्वाइंट को 30 दिन की मोहलत
टीम ने बरियातू स्थिति पल्स डायग्नोस्टिक सेंटर और फस्ट प्वाइंट में भी कुछ कमियां पायी. हालांकि प्लस सेंटर के पदाधिकारियों ने कुछ कागज प्रस्तुत किये. इसके आधार पर पल्स डायग्नोस्टिक को 30 दिन का समय दिया गया है. अगर इसके बाद भी दोनों सेंटर ने कार्यप्रणाली में सुधार नहीं किया, तो कड़ी कार्रवाई की जायेगी.
क्या है एइआरबी का कार्य
एटोमिक एनर्जी रेगुलेट्री बोर्ड (एइआरबी) देश के मेडिकल कॉलेज व निजी जांच सेंटर में न्युक्लियर से संबंधित लाइसेंस उपलब्ध कराता है. एइआरबी लाइसेंस देते समय यह देखता है कि मशीन से निकलनेवाला रेडिएशन मानक को पूरा करता है या नहीं. इसके बाद लाइसेंस दी जाती है.
टीम में यह थे शामिल: साइंटिफिक अफसर बीके सिंह, प्रदीप कुमार व एचजी देशल में थे.
एइआरइबी ने दिया था एक साल का समय
एटोमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड ने अक्तूबर 2014 में भी रिम्स का निरीक्षण किया था़ टीम ने रिम्स के रेडियोलॉजी विभाग व कैथ लैब को कमियों की सूची बना कर दी थी. एक साल का समय दिया गया था़ लेकिन किसी ने इस पर गंभीरता से अनुपालन नहीं किया.