रांची : विधानसभा में हुई अवैध नियुक्ति की जांच में तेजी आयी है़ पिछले कई वर्षों से ठंडे बस्ते में पड़े इस मामले की जांच शुरू हुई है़ एक सदस्यीय जांच आयोग के सेवानिवृत्त न्यायाधीश विक्रमादित्य प्रसाद ने नये सिरे से जांच शुरू की है़. पूर्व विधानसभा अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी और आलमगीर आलम के समय हुई नियुक्ति और प्रोन्नति की जांच आयोग कर रहा है़. विधानसभा सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, आयोग उस समय हुई नियुक्तियों से संबंधित फाइलों को खंगाल रहा है़.
आयोग ने मामले से जुड़ी कई फाइलें विधानसभा से मांगी है़ विधानसभा नियुक्ति नियमावली से लेकर नियुक्त किये गये लोगों के बाबत जानकारी मांगी गयी है़ इधर स्पीकर दिनेश उरांव ने भी विधानसभा सचिवालय को जांच में पूरा सहयोग करने का निर्देश दिया है़.
स्पीकर ने विस के पदाधिकारियों से कहा है कि आयोग द्वारा जो भी जानकारी या कागजात मांगे जा रहे हैं, उसे उपलब्ध कराये़ं पुरानी फाइलों को आयोग को सुपुर्द करने काे कहा है़ वहीं वैसी फाइलें जो विधानसभा के उपयोग में हैं, उसकी फोटो कॉपी कर देने को कहा गया है़.
आयोग की सहूलियत के लिए विधानसभा सचिवालय के अधिकारियों को लगाया गया है़ हालांकि आयोग में पूर्व न्यायाधीश श्री प्रसाद को सहयोग देने के लिए सरकार की ओर से सहायक उपलब्ध कराया गया है़
पूर्व अध्यक्ष दे चुके हैं इस्तीफा: राज्यपाल के आदेश पर वर्ष 2013 में सरकार ने जांच आयोग का गठन किया था़ सेवानिवृत्त न्यायाधीश लोकनाथ प्रसाद की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया गया था़ बाद में आयोग के अध्यक्ष पूर्व न्यायाधीश लोकनाथ प्रसाद ने इस्तीफा दे दिया़
नियम विरुद्ध हुई थी बहाली
विधानसभा में नियुक्ति में बड़े पैमाने पर अनियमितता हुई. पूर्व स्पीकर इंदर सिंह नामधारी के समय 274 और आलमगीर आलम के समय 324 नियुक्तियां हुई़ं नियम-कानून को ताक पर रख कर बहाली की गयी. इन दोनों ही नियुक्तियों पर सवाल उठे़ इन नियुक्तियों में नेताओं के करीबियों को उपकृत किया गया. एक खास इलाके से लोगों की बहाली की गयी. राज्यपाल ने अनुसेवक के 75 पद स्वीकृत किये. विधानसभा ने 150 लोगों को बतौर अनुसेवक भर लिया. सूचना के मुताबिक, एक दिन में 200 से 600 लोगों के साक्षात्कार लिये गये, जबकि एक ही साक्षात्कार बोर्ड गठित की गयी थी.